संसद, पुलवामा, पठानकोट, उरी में आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर (Masood Azhar) को ग्लोबल टेररिस्ट (Global Terrorist) घोषित कर दिया गया है. यानी अब पूरी दुनिया ने मान लिया है कि मसूद अजहर आतंक का अंतराष्ट्रीय आका है. मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने में हुई इतनी देरी के पीछे चीन था और उसी चीन ने जैसे ही अजहर के सिर से अपना हाथ हटाया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उसे ग्लोबल टेररिस्ट (Global Terrorist) घोषित कर दिया. आइए जानें चार बार अड़ंगा लगाने के बाद ड्रैगन क्यों पीछे हटा..
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पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और चीन दोनों पर जबर्दस्त इंटरनेशनल प्रेशर डाला, लेकिन चीन हर बार की तरह टस से मस नहीं हुआ और उसने वही किया, जो करता आ रहा था- मतलब मसूद अजहर (Masood Azhar) को ग्लोबल टेररिस्ट किए जाने की राह में रोड़ा अटका दिया.
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दरअसल मोदी सरकार ने अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के जरिए चीन पर जबर्दस्त दबाव बनाया. भारत ने बैक चैनल चीन को लगातार समझाया कि आतंकवाद के मुद्दे पर उसकी नीति खतरनाक हो सकती है. चीन को जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन उसे मसूद अजहर के मुद्दे पर आंखें दिखा चुके थे. इन देशों के साथ चीन अरबों डॉलर का कारोबार है.
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वहीं भारत ने भी ड्रैगन को यह समझा दिया कि अगर वह मसूद अजहर पर संवेदनशीलता नहीं दिखाएगा तो भारत, साउथ चाइना सी से लेकर, तिब्बत, ताईवाल, शिनजियांग तक बगावत झेल रहे चीन के सामने चुनौती पेश कर देगा. भारत का यह आक्रामक रुख और इंटरनेशनल प्रेशर चीन नहीं झेल पाया और झुक गया.
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इसके अलावा ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) में पाकिस्तान लगातार चीन को सपोर्ट कर रहा था, लेकिन इस बार सुषमा स्वराज की OIC में मौजूदगी और पाकिस्तानी विदेश मंत्री की गैरमौजूदगी ने चीन को बता दिया कि वह जिस पाकिस्तान पर दांव लगा रहा है, उसकी इस्लामिक देशों में कोई साख नहीं बची है. OIC में चीन को विरोध का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वह शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों पर जुल्म कर रहा है.
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एक कारण यह भी है कि चीन-पाक आर्थिक गलियारा की सुरक्षा को लेकर बीजिंग डरा हुआ था. वह लगातार पाकिस्तान सरकार से सुरक्षा का एश्योरेंस मांग रहा था, जो उसे मिला नहीं. पाकिस्तान में मसूद अजहर के पास इतनी ताकत तो है कि वह उसके गलियारे पर हमले करा दे.
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बता दें पाकिस्तान लगातार चीन के साथ मिलकर मसूद अजहर (Masood Azhar) को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किए जाने से रोक रहा था. दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ बन रहे माहौल को चीन और पाकिस्तान पहचान नहीं पा रहे थे. पाकिस्तान की तो अपनी मजबूरी थी, जबकि चीन की अपनी दुश्वारियां, लेकिन इस बार कुछ भी काम न आया.
Source : News Nation Bureau