चीन के अपने निष्क्रिय उपग्रह को सफलतापूर्वक दूसरी कक्षा में ले जाने के बाद अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ का का एक नया खतरा पैदा हो गया है. गौरतलब है कि पिछले महीने चीन के शिजियान-21 उपग्रह ने एक निष्क्रिय चीनी उपग्रह को उसकी जगह से स्थानांतरित कर उसकी भूस्थैतिक कक्षा बदल दी थी. किसी उपग्रह की कक्षाओं को भौतिक रूप से बदलने की यह क्षमता पहले सिर्फ अमेरिका ने ही प्रदर्शित की थी. इस बीच भारतीय वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने कहा है कि सेना के तीनों अंगों-वायुसेना, थल सेना या नौसेना में से कोई भी एक बल सिर्फ अपने बूते युद्ध नहीं जीत सकता है और यह भविष्य के लिए भी अच्छा है.
भविष्य के लिहाज से चुनौतियां बढ़ीं
वायु सेना प्रमुख ने कहा, ‘अपने निष्क्रिय उपग्रहों में से एक को अन्य कक्षा में ले जाने का चीन का हालिया अभियान अंतरिक्ष को हथियारों से लैस करने की दौड़ में नए खतरे ला रहा है. यह ऐसा क्षेत्र है जिसे अब तक अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘हम जिस दायरे को देख रहे हैं, घातक से गैर-घातक और छोटे ड्रोन से लेकर हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइलों तक फैला हुआ है. यह विशाल और निरंतर बदल रही स्थितियां भविष्य के सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करेगी.’
भारतीय वाय़ुसेना प्रमुख ने कह दी बड़ी बात
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण को आधुनिक, लचीला और अनुकूल बनाने की जरूरत है, जिसमें ‘एकजुटता’ का संदेश भी हो. उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से मजबूत अच्छी तरह से प्रशिक्षित वायु सैनिक, वायुसेना की शक्ति बढ़ाने का काम करेंगे. उन्होंने कहा, ‘कोई भी एक सेना सिर्फ अपने बूते युद्ध नहीं जीत सकती है और यह भविष्य के लिए भी अच्छा है. यह मुझे कमान और नियंत्रण की अगली चुनौती तक ले जाता है.’
HIGHLIGHTS
- चीन ने अपने निष्क्रिय उपग्रह की कक्षा बदली
- पहले यह काम सिर्फ अमेरिका के बूते ही था
- भारत के लिए बढ़ेंगी सुरक्षा चुनौतियां