ड्रैगन नहीं आएगा बाज, साइबर जासूसों के निशाने पर भारत के संवेदनशील प्रतिष्ठान

चीन के साइबर सैनिकों ने भारतीय दूरसंचार कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और कई रक्षा निर्माण से जुड़े प्रतिष्ठानों को अपना निशाना बनाया है.

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Nihar Saxena
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भारत से तनाव के बीच बढ़ी साइबर जासूसी की घटनाएं.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों के बीच चीन (China) अपनी नापाक हरकतों से रत्ती भर भी बाज नहीं आ रहा है. भारत (India) के खिलाफ ड्रैगन के खतरनाक मंसूबे फिर से सामने आए हैं. खुफिया जानकार बता रहे हैं कि चीन के साइबर सैनिकों ने भारतीय दूरसंचार कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और कई रक्षा निर्माण से जुड़े प्रतिष्ठानों को अपना निशाना बनाया है. साइबर (Cyber) थ्रेटस इंटेलिजेंस से जुड़ी तंपनी ने दावा किया है कि चीन की इन चालाकी भरे खुफिया ऑपरेशन के सबूत हैं और इन अभियानों से एक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की एक विशिष्ट ईकाई जुड़ी थी.

बीते 6 माह में संवेदनशील संस्थानों को बनाया निशाना
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित समाचार के मुताबिक यूनाइटेड स्टेट्स के मुख्यालय के तहत आने वाले रिकॉर्डेड फ्यूचर की ओर से ये निष्कर्ष प्रकाशित की गई थी, जिसने इस साल की शुरुआत में बिजली और बंदरगाह क्षेत्रों में भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने वाले चीनी साइबर संचालन के साक्ष्य की सूचना दी थी. मार्च में उजागर हुई इस यूनिट को रेडइको कहा गया, जबकि नए समूह की पहचान रेडफॉक्सट्रोट के रूप में की गई है. रिपोर्ट की मानें तो रिकॉर्डेड फ्यूचर के इंसिक्ट ग्रुप ने संदिग्ध चीनी सरकार द्वारा प्रायोजित समूह की पहचान की, जिसे रेडफॉक्सट्रोट के रूप में ट्रैक किया जा रहा है. इसने 2020 और 2021 के दौरान कई भारतीय संगठनों को निशाना बनाया है. रिकॉर्डेड फ्यूचर के इंसिक्ट ग्रुप के एक शख्स ने कहा कि भारत के भीतर विशेष रूप से हमने पिछले 6 महीनों में दो दूरसंचार संगठनों, तीन रक्षा ठेकेदारों और कई अतिरिक्त सरकारी और निजी क्षेत्र के संगठनों को सफलतापूर्वक टारगेट करने वाले समूह की पहचान की है.

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मुश्किल होता है ऐसे अभियानों का पता लगाना
फिलहाल, भारत के साइबर सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अधिकारी ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. इंसिक्ट के एक प्रतिनिधि ने बताया कि यह गतिविधियां भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव के समय हुई थी. एक अलग ब्लॉग पोस्ट में रिकॉर्डेड फ्यूचर ने कहा कि ये निष्कर्ष नेटवर्क ट्रैफ़िक के विश्लेषण, हमलावरों द्वारा उपयोग किए गए मेलवेयर के फूटप्रिंट, डोमेन पंजीकरण रिकॉर्ड और संभावित लक्ष्यों से डाटा ट्रांसमिसिंग करने पर आधारित थे. बताया जा रहा है इन चीनी हमलों में एनटीपीसी के प्लांट्स भी शामिल रहे हैं. जानकारों के मुताबिक स्टेट ऑन स्टेट साइबर ऑपरेशंस सामान्यतः पर दो श्रेणियों में आते हैं. एक होता है तोड़फोड़ और दूसरा जासूसी. हालांकि बाद में अधिक सामान्य से हो जाते हैं, मगर दोनों का पता लगाना समान रूप से कठिन है. 

HIGHLIGHTS

  • चीन अपनी नापाक हरकतों से रत्ती भर भी बाज नहीं आ रहा
  • चीनी साइबर सैनिकों ने संवेदनशील प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया
  • इन अभियानों से एक PLA की एक विशिष्ट ईकाई जुड़ी थी
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