जैश-ए-मोहम्मद सरगना और पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को प्रतिबंध करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाने के लिए भारत ने चीन की आलोचना की है। वहीं चीन ने शनिवार को अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा, 'पिछले साल सुरक्षा परिषद की 1267 समिति ने मसूद को प्रतिबंध वाली सूची में शामिल किए जाने को लेकर चर्चा की थी। उसमें अलग-अलग राय सामने आई थी और किसी सहमति पर नहीं पहुंचा जा सका।'
चीन ने अमेरिकी प्रस्ताव को अवरुद्ध किए जाने के बचाव में कहा कि इसमें 'शर्तें' पूरी नहीं की गईं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कैंग ने कहा, 'उसे उम्मीद है कि सुरक्षा परिषद के वे सभी सदस्य जो आतंकवाद के खिलाफ बनी समिति का हिस्सा हैं, नियमों का पालन करेंगे।'
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कैंग ने कहा, 'चीन सुरक्षा परिषद का जिम्मेदार सदस्य है। चीन ने हमेशा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों और प्रक्रियागत नियमों के मुताबिक ही काम किया है। हम उम्मीद करते हैं कि सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य और इससे जुड़े हुए देश नियमों का पालन करेंगे।'
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सामने मसूद अजहर के खिलाफ तीन बार प्रतिबंध लगाने और अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया है। लेकिन हर बार चीन ने विरोध किया है। अमेरिका की तरफ से 19 जनवरी को लाए गए प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 14 ने सहमति जताई थी। अकेले चीन ही इस प्रस्ताव का विरोध किया। दिसंबर 2016 में चीन ने भारत के इस प्रस्ताव को स्थाई रूप से ब्लॉक कर दिया था।
भारत ने चीन के विरोध पर आपत्ति जताते हुए गुरुवार को कहा था कि वह 'डेमोर्श' जारी करेगा। चीन ने इस संबंध में कहा कि 'हम भारत के कूटनीतिक विरोध की रिपोर्ट को देखेंगे।' डेमार्श एक कूटनीतिक कदम है जिसे विरोध दर्ज कराने के लिए जारी किया जाता है।
यूएन की समिति पहले से ही आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल रखी है, लेकिन इसके सरगना मसूद अजहर पर अभी तक बैन नहीं लगा पाई है, क्योंकि चीन मसूद अजहर का नियमों का हवाला देकर साथ दे रहा है।
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HIGHLIGHTS
- मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव का विरोध कर रहे चीन की सफाई
- चीन कहा, सभी सदस्य आतंकवाद के खिलाफ बनी समिति के नियमों का पालन करें
- अब तक अजहर के खिलाफ तीन बार लाया गया है प्रस्ताव, हर बार चीन ने किया विरोध
Source : News Nation Bureau