मई में लद्दाख में हिंसक झड़प के बाद शुरू गतिरोध को दूर करने के लिए भारत-चीन के बीच 9वें दौर की वार्ता जल्द ही होने वाली है. यह अलग बात है कि ड्रैगन बातचीत की आड़ में फिर से भारत के साथ धोखे की तैयारी कर रहा है. मिलिट्री इंटेलीजेंस के मुताबिक चीन की सेना ने अपने कब्जे वाले अक्साई चिन इलाके में बीते महीने भर में बड़े पैमाने पर सैनिकों को तैनात किया है. इसके साथ ही वह बहुत तेजी से इस इलाके में सड़कों का निर्माण कर रहा है. यही नहीं, चीन ने पैंगोंग झील के फिंगर 6 से 8 को जोड़ने वाली सड़क को भी चौड़ा किया है ताकि किसी युद्धक कार्रवाई की स्थिति में बहुत तेजी से चीनी सेना को भारतीय मोर्चे के पास तक पहुंचाया जा सके.
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बंकर निर्माण के साथ सैनिकों की तैनाती
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सेना की इस कार्रवाई से साफ है कि वह अक्साई चिन में लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी में है. साथ ही भारत के साथ बातचीत के बाद भी उस पर दबाव बनाए रखना चाहती है. भारत और चीन की सेना के बीच सैनिकों को पीछे हटाने और तनाव को घटाने के लिए बहुत जल्द ही बातचीत होने वाली है. भारतीय सैन्य सूत्रों ने बताया कि पीएलए कराकोरम पास से 30 किमी दूर समर लुंगपा और रेचिन ला के दक्षिण में स्थित माउंट साजूम में 10-10 बंकर बना रही है. यही नहीं चीनी सेना की नजर रणनीतिक रूप से बेहद अहम दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी पर भी है. पीएलए दौलत बेग ओल्डी से 70 किमी पूर्व में स्थित किजिल जिलगा में अपने सैनिकों की तैनाती को बढ़ा रही है.
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चूशूल में भारी सैन्य उपकरण का जमावड़ा
इन सभी जगहों पर भारत और चीन के बीच एलएसी को लेकर गंभीर मतभेद हैं. किजिल जिल्गा चीनी सेना का बड़ा सैन्य ठिकाना है. भारतीय रक्षामंत्रालय के एक धड़े का मानना है कि जल्द ही चीन की सेना वापस हो सकती है लेकिन यह खुफिया सूचना उनकी सोच के ठीक उलट है. अगर ऐसा हुआ तो भारतीय सेना को जमा देने वाली ठंड के बीच बने रहना पड़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक चूशूल से ठीक दक्षिण में चीन के 60 हैवी उपकरण देखे गए हैं. चीन ने पूरे लद्दाख सीमा पर निगरानी उपकरण लगा रखे हैं. चीन के टैंक को ले जाने वाले ट्रांसपोर्टर गोबक में देखे गए हैं. यही नहीं चीन ने अक्साई चिन के रुडोग, मपोथेंग, सुमक्सी और डेमचोक के उत्तरी-पूर्वी इलाके में स्थित पश्चिमी चांग ला में फिर से सैनिकों की तैनाती की है. चीन ने एलएसी के आसपास बड़े पैमाने पर रणनीतिक सड़कों का जाल बिछा रहा है.