पिछले कुछ सालों से भारत-चीन के बीच आपस में टकराव की खबरें आए दिन सामने आ रही हैं. हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर करीब चार हफ्ते पहले भारतीय और चीनी सैन्य गश्ती दल घंटों एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने खड़े रहे थे. सूत्रों के अनुसार अब पता चला है कि इस विवाद की प्रमुख वजह चीनी सेना का 17,000 फीट ऊंची चोटी पर स्थित पोस्ट को कब्जा करना था जिसकी वजह से सीमा के दोनों तरफ तनाव उत्पन्न हो गया. सामरिक महत्व की दृष्टि से इस चोटी का खास महत्व इसलिए है क्योंकि इस चोटी से दुश्मनों की हर गतिविधियों पर नजर बनाए रखना आसान होता है.
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हाल के तनाव के दौरान जब पीएलए ने तवांग से 35 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में यांग्त्से नामक क्षेत्र में घुसने का प्रयास किया. इस दौरान पीएलए के गश्ती दल भारतीय सेना के चोटी के सबसे ऊपर तक पहुंचने वाले मार्गों में से एक के करीब आ गए, लेकिन भारतीय सेना ने पीएलए के इस प्रयास को विफल कर दिया गया. वर्तमान में यह क्षेत्र बर्फ से पूरी तरह ढका हुआ है और मार्च तक ऐसा ही रहने की संभावना है. यह चोटी रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हैं. भारतीय सेना और पीएलए दोनों की सेनाओं ने यांग्त्से क्षेत्र के दोनों ओर से करीब 3,000-3,500 सेनाएं तैनात हैं. साथ ही मानव रहित हवाई वाहन भी नज़र रख रहे हैं.
गश्ती दलों का मुकाबला करने के लिए दोनों पक्षों के पास सीमा से सटे इलाकों में सड़कों और रेल पटरियों का नेटवर्क है. 17 हजार फीट पर स्थित यह चोटी एलएसी के पार तिब्बत का एक कमांडिंग दृश्य प्रदान करता है. भारत के लिए यह खासा महत्व रखता है. यांग्त्से क्षेत्र व्यापक क्षेत्र का हिस्सा है, जिसे सैन्य शब्द 'मागो-चुना' कहते हैं. नूरानांग नदी तिब्बत से भारत में पर्वत के निकट स्थित है जहां चोटी स्थित है.
HIGHLIGHTS
- अरुणाचल प्रदेश में सीमा पर भारत और चीन के बीच है तनातनी
- हाल ही में एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने खड़े थे दोनों देशों की सेनाएं
- इस चोटी से दुश्मनों की हर गतिविधियों पर नजर बनाए रखना है आसान