लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास डेढ़ महीना पहले भारतीय सेना (Indian Army) के साथ हुए झड़प के बाद अब चीनी सेना पीछे हट गई है, लेकिन उसने पैंगोंग सो (Pangong Tso) क्षेत्र में कई नए निर्माण किए हैं. यह जानकारी नवीनतम सेटेलाइट इमेज से प्राप्त हुई है. इस इमेज में कई नए टैंट इस इलाके में देखे जा सकते हैं. हालांकि कई क्षेत्रों में चीनी सैनिक पीछे हट गए हैं.
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3 किमी का बफर जोन
इस महीने की शुरुआत में, दोनों देश गलवान घाटी में विवादास्पद पेट्रोल पोस्ट 14(पीपी14) से पीछे हट गए थे, जहां 15 जून को हुए हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे और अज्ञात संख्या में चीनी जवान मारे गए थे. गलवान घाटी में दोनों तरफ 3 किलोमीटर का बफर जोन बनाया गया, लेकिन पैंगोंग सो क्षेत्र में तनाव जारी रहा.
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फोक्सहोल प्वाइंट पर चीनी निर्माण
मेक्सर से आईएएनएस द्वारा प्राप्त 15 जुलाई के सेटेलाइट इमेज में दिख रहा है कि फोक्सहोल प्वाइंट पर चीनी निर्माण हो रहा है, वहां पीएलए ने कई तारपॉलिन टेंट लगाए हैं. एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ ने आईएएनएस से पुष्टि करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि ये चीनी टेंट हैं क्योंकि पीएलए का टेंट लाल तारपॉलिन का है और यह चीन की तरफ है. इसके अलावा पीएलए स्क्वायर टेंट और भारत इग्लू व राउंड शेप टेंट का प्रयोग करता है.
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भारतीय सेना ने भी टैंट गाड़े
सेटेलाइट इमेज में भारतीय टेंटों की दो बड़ी स्थापनाएं भी दिखती है, ऊपर का सफेद क्लस्टर इग्लू आकार का है और निचला हरा क्लस्टर गोल शेप का है. विशेषज्ञ ने कहा, 'कई और टेंट भी एलएसी को चिह्न्ति करते हुए फिंगर 4 की ऊंचाई पर दिखाई देते है, जहां के बारे में गूगल अर्थ बताता है कि यही एलएसी है.'
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14, 15 और 17ए पर पीछे हटे चीनी
भारत और चीन के बीच एलएसी लद्दाख में पहाड़ी ठंडे रेगिस्तान में है, जो पानी और भूमि से होकर गुजराता है और इसमें 135 किलोमीटर लंबा पैंगोंग सो समाहित है. एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पेट्रोलिंग प्वाइंट 14, 15 और 17ए में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी हो गई है. यानी दोनों सेनाएं इन प्वाइंट्स पर अब आमने-सामने टकराव की स्थिति में नहीं हैं.