हिंद महासागर में पिछले दस साल से चीनी नौसेना लगातार अपनी उपस्थिति बनाए हुए है. भारतीय नौसेना के चीफ एडमिरल सुनील लांबा ने बताया कि वर्ष 2008 से लगातार चीनी नौसेना हिंद महासागर में उपस्थित है. वह यहां समुद्री लूट से रक्षा के नाम पर चीन की नौसेना की पिछले कई सालों से स्थायी मौजूदगी है. एडमिरल लांबा ने बताया कि दो साल पहले चीन ने अपना पहला विदेशी अड्डा जिबूती में स्थापित किया. इस नौसेना की तैनाती की लक्ष्य व्यापार की रक्षा करना बताया गया है. यही नहीं चीन ने समुद्री लूट के खिलाफ अपनी पनडुब्बियां तैनात की हैं, लेकिन इस काम के लिए पनडुब्बियों का इस्तेमाल भारतीय सीमा के भीतर नहीं किया जा सकता है.
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एडमिरल लांबा ने बताया कि चीनी नौसेना ने अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए पिछले पांच साल में 80 नए नौसैनिक जहाज अपने बेड़े में शामिल किए हैं और चीनी नौसेना काफी लंबे समय तक यहां टिकी रहेगी. जिस तरह से हिंद महासागर में चीन लगातार आक्रामक रुख अपनाए है, ऐसे समय में लांबा का यह बयान काफी अहम है. अमेरिका, जापान, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष नौसेना के अधिकारियों के साथ रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेते हुए लांबा ने कहा कि पिछले 200 वर्षों में किसी भी देश की नौसेना ने चीन की तुलना में विकास नहीं किया है. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि चीन की सैन्य क्षमता काफी बेहतर है और वह अपने सुरक्षाबलों के आधुनिकीकरण पर काफी व्यय कर रहा है.
एडमिरल लांबा ने कहा कि मुझे इस बात को स्वीकार करना होगा कि इस क्षेत्र में चीनी वायुसेना और नौसेना की गतिविधियां हिंद महासागर में बढ़ गई हैं. हालांकि भारत ने चीन और जापान के साथ समुद्री और हवाई संचार ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है, लेकिन हम अभी भी रक्षामंत्रियों की यात्रा का इंतजार कर रहे हैं.
Source : News Nation Bureau