गलवान घाटी में चीन की हरकतें एक बार फिर बढ़ गयीं है. चीन घाटी में लगातार भारतीय हित के खिलाफ काम कर रहा है. नव वर्ष के अवसर पर जब समूचा दुनिया जश्न और खुशियां मना रहा था उस समय चीन गलवान घाटी में घिनौनी हरकत करने में लगा था. नए साल की शुरुआत पर गलवान घाटी में चीन ने अपना राष्ट्रीय झंडा फहराया था. लेकिन अब चीन उससे भी आगे बढ़कर लद्दाख की पैंगोंग झील के अपने कब्जे वाले इलाके में एक पुल का निर्माण कर रहा है. एलएसी के बेहद करीब यह निर्माण कार्य करीब दो महीने से चल रहा है, जिसका खुलासा सैटेलाइट तस्वीरों के लिए जरिए हुआ है. यह पुल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ेगा, जिससे चीनी सेना दोनों तरफ कम से कम समय में पहुंच सकेगी.
सूत्रों के मुताबिक चीन ने हाड़ कंपा देने वाली सर्दियों के दौरान भी पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पार लगभग 60,000 सैनिकों की तैनाती कर रखी है. भारत ने भी इतनी ही संख्या में सैनिकों को तैनात कर दिया है ताकि ड्रैगन किसी दुस्साहस के बारे में भी न सोचे. चीनी सेना ने अपने सभी ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण सैनिकों को वापस बुला लिया है, लेकिन अभी भी वहां 60,000 सैनिकों को बनाए हुए है.
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भारत ने अगस्त, 2020 में दक्षिणी किनारे पर महत्वपूर्ण कैलाश रेंज पर प्रमुख चोटियों पर कब्जा कर लिया था, जिससे भारतीय सैनिकों को रणनीतिक लाभ मिला था. हालांकि, पिछले साल फरवरी में दोनों देशों की सेनाएं आपसी चर्चा के बाद पैंगोंग झील के दोनों किनारों से पीछे हट गई थीं.
इस पुल के बनने से चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) को पैंगोंग झील में विवादित क्षेत्रों तक पहुंच बनाने में काफी आसानी हो जाएगी. इससे झील के दोनों छोरों की दूरी 200 किमी से घटकर 40-50 किमी तक रह जाएगी. पैंगों त्सो झील का एक तिहाई हिस्सा भारत के लद्दाख और शेष भाग तिब्बत में पड़ता है.
चीन ने 1 जनवरी को अपना नया सीमा कानून लागू किया है जो अपनी सीमा सुरक्षा, गांवों के विकास और सीमाओं के पास बुनियादी ढांचे को मजबूत करने को बढ़ावा देता है और ऐसी शर्तें भी रखता है जिसके तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में आपातकालीन उपाय किए जा सकते हैं.
HIGHLIGHTS
- चीन पैंगोंग झील के अपने कब्जे वाले इलाके में एक पुल का निर्माण कर रहा है
- पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पार लगभग 60,000 सैनिकों की तैनाती कर रखी है
- नए साल पर गलवान घाटी में चीन ने अपना राष्ट्रीय झंडा फहराया था