चीन ने कहा है कि वह भारत के उत्तर-पूर्व के राज्यों में जापान समेत किसी भी विदेशी निवेश का विरोधी है। साथ ही उसने कहा है कि वो सीमा विवाद को लेकर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान पूर्वोत्तर के राज्यों में निवेश करने में तेजी लाने की बात पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा पूर्वोत्तर के विवादित क्षेत्र में किसी भी तरह के निवेश का विरोध करता है।
चुनयिंग ने कहा, 'आपने ऐक्ट ईस्ट नीति का भी जिक्र किया। आपको स्पष्ट होना चाहिए कि भारत और चीन सीमा अभी पूरी तरह निर्धारित नहीं है। दोनों के बीच पूर्वी हिस्से में सीमा को लेकर मतभेद है।'
उन्होंने कहा, 'हम बातचीत के जरिए समाधान तलाशने की कोशिश कर रहे हैं जो दोनों पक्षों को मंजूर हो। ऐसी स्थिति में विभिन्न पक्षों को इन पहलुओं का सम्मान करना चाहिए और विवाद को हल करने की हमारी कोशिशों में किसी भी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।'
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चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत है।
हुआ ने कहा कि जिस तरह से मीडिया में जिस तरह की खबरें आ रही हैं उसमें कही भी चीन का जिक्र नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, 'स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो हमने जापान के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा पर करीब से नजर रखा हुआ है। मैंने साझा बयान को बारीकी से पढ़ा है, लेकिन मैने बयान में कहीं भी चीन का जिक्र नहीं देखा।'
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साउथ चाइना सी पर पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि साझा बयान में कहा गया है कि विवाद को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिये।
हुआ ने कहा, 'मुझे यह भी कहना चाहिए कि भारत और जापान एशिया के महत्वपूर्ण देश हैं। हमें उम्मीद है कि संबंधों का सामान्य विकास क्षेत्र की शांति और विकास के हित में होगा और रचनात्मक भूमिका भी अदा करेगा।'
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Source : News Nation Bureau