सीमा पर मिली नाकामी के बाद बचाव की मुद्रा में आए चीन (China) ने अब भारत पर तिब्बत (Tibet) कार्ड खेलने का आरोप लगाया है. चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े चीनी आउटलेट ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है, 'भारत का निर्वासित तिब्बती के साथ मिली-भगत करना और तिब्बत कार्ड खेलना केवल अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना है, क्योंकि चीन की आर्थिक शक्ति और सैन्यशक्ति भारत की तुलना में बहुत अधिक है.' ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, विश्लेषकों ने कहा है कि तिब्बती 'निर्वासन' का कुछ असर नहीं हुआ है. यह केवल चीन-भारत (India China face Off) सीमा टकरावों में थोड़ा ध्यान पाने के अवसर के रूप में इस्तेमाल होता है.
तिब्बत पर उगला जहर
एक तरह से चीन ने अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति को लेकर साहस किया है और 'निर्वासित तिब्बती के साथ मिली-भगत' की बात कहकर भारत को एक संदेश भेजने की कोशिश की है. ग्लोबल टाइम्स ने एक रिपोर्ट में कहा, 'चीन और भारत के बीच ये नया टकराव एक भारतीय बल इकाई के कारण है. यह इकाई निर्वासित तिब्बतियों से बनी है, जिनके बारे में कुछ भारतीय मीडिया मानती है कि इसने भारत की भड़काऊ कार्रवाइयों से उत्पन्न नए गतिरोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.'
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फ्रंटियर फोर्स को बताया चारा
रिपोर्ट में आगे कहा गया, 'हालांकि, चीनी विश्लेषकों के अनुसार, यह तथाकथित विशेष फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) है, जिसमें करीब 1,000 से अधिक लोग थे. इसका इस्तेमाल भारतीय सेना द्वारा सीमा संघर्ष में तोप के चारे के रूप में किया गया था.' रिपोर्ट के अनुसार, सिंघुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि भारतीय सेना ने पहले निर्वासित तिब्बतियों की इकाई को तैनात किया था, लेकिन भारतीय मीडिया के अनुसार, कार्रवाई में हुई एक मौत और एक कमांडर का घायल होना भारतीय सेना की अपर्याप्त तैयारी को दर्शाता है.
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1960 में बनी थी एसएफएफ
एसएफएफ का गठन पहली बार 1960 के दशक में अमेरिका के समर्थन के साथ हुआ था, क्योंकि निर्वासित तिब्बतियों के पास ऊंचाई पर लड़ने के लिए लड़ाकू क्षमताएं थीं. कियान के अनुसार बाद में उन्हें भारत ने चीनी सेना की जासूसी करने के लिए इस्तेमाल किया. कियान ने आगे कहा, 'वर्तमान में भारतीय सेना में एसएफएफ के महत्व में काफी गिरावट आई है, बल्कि इकाई की संख्या में भी नाटकीय रूप से कमी आई है.'
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इस आधार पर विरोध
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार कियान ने कहा, 'भारतीय सेना को विदेशी सैनिकों पर भरोसा नहीं है, इसीलिए सेना में तिब्बतियों की बहुत कम हैसियत थी. यूनिट का सदस्य बनना केवल उनके लिए जीवनयापन का एक साधन मात्र था.' चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, 'हम किसी भी देश को 'तिब्बत अलगाववादी बलों' को अलगाववादी गतिविधियों के लिए किसी भी तरह से मदद देने का दृढ़ता से विरोध करते हैं.