शिपिंग इंडस्ट्री में चीन के वर्चस्व को कम करने के लिए भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. शिपिंग मंत्रालय ने आदेश दे कर ये एलान किया है कि अब देश के प्रमुख बंदरगाहों पर सिर्फ़ मेक इन इंडिया के तहत बने भारतीय टग बोट का ही इस्तेमाल किया जाएगा. केंद्रीय शिपिंग मिनिस्टर मनसुख लाल मंडाविया ने न्यूज नेशन से खास बातचीत में बताया कि टग बोट इंडस्ट्री में चीनी वर्चस्व को खत्म करना है इसको लेकर मंत्रालय ने प्लान बनाया. जिसमें मेक इन इंडिया के तर्ज पर टग बोट बड़ी संख्या में बनाई जाएगी. जिससे आत्मनिर्भर भारत मिशन को इस क्षेत्र में बढ़ाया जा सके. केंद्रीय शिपिंग मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि हम अब चीनी या विदेशी टगबोट का इस्तेमाल नहीं करेंगे बल्कि भारत में बनी टग बोट का इस्तेमाल करेंगे. जिसकी तैयारी ज़ोरो पर हैं.
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भारत में इस समय बंदरगाहों में करीब 800 टगबोट मौजूद है जिनमें ज्यादातर विदेशी है. भारतीय टग बोट के बाज़ार पर क़रीब 80% क़ब्ज़ा चीन का है. शिपिंग मंत्रालय के इस फैसले से अब टग बोट का बाज़ार न सिर्फ पूरी तरह भारतीय उद्यमियों के हाथ में आ जाएगा बल्कि विश्व टग बोट बाज़ार में भी भारत की ताकत बढ़ेगी. टग बोट का इस्तेमाल किसी भी विशालकाय पानी के जहाज़ को सही ठिकाने पर लगाने के लिए किया जाता है या फिर उसे खींचकर पानी में मदद करने के लिए किया जाता है. एक टगबोट की कीमत 50-80 करोड़ तक होती है.
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टग बोट के बारे में जानिए
टग बोट देखने में शिप जैसी ही विशालकाय और अत्यधिक क्षमता वाली बोट होती है. टग बोट का इस्तेमाल शिप को ज़रूरत के अनुसार खींचने के लिए किया जाता है. टग बोट माल से लदे हुए किसी भी बड़े से बड़े समुद्री जहाज़ को मुसीबत की घड़ी में खींच कर ठिकाने पे लगा सकने की क्षमता रखती है. जब शिप किसी संकरे कैनाल में होती है, छिछले पानी में होती है, ख़राब हो जाती है ऐसे समय में टग बोट शिप को खींचती है. इसके अलावा अन्य अनेकों काम में टग बोट का इस्तेमाल किया जाता है. भारत के सरकारी बंदरगाहों पर टग बोट की विशेष माँग रहती है.
Source : News Nation Bureau