पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में भारत और चीन के बीच पिछले करीब एक साल से तनाव की स्थिति बनी हुई है. इस बीच भारत और चीन (India-China) के बीच पैंगोंग झील पर सेना की वापसी की समझौता हुआ है. राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि पैंगोंग लेक (Pangong Lake) से पूर्व हटने के लेवल समझौता हुआ है. भारत अपने बेस फिंगर 3 और चीन फिंगर 8 के पीछे जाएगा. रक्षा मंत्री ने यह भी बताया है कि एलएसी (LAC) पर बनाए गए निर्माणों को भी हटाया जाएगा. दोनों पक्ष पुरानी जगह पर जाएंगे. राजनाथ सिंह ने जानकारी दी है कि पैंगोंग लेक पर हटने की प्रक्रिया कल से शुरू हो गई है.
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पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति पर आज राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ-साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है. एलएसी पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारी द्विपक्षीय संबंध पर बुरा असर पड़ता है. कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयान में भी यह जिक्र किया गया है कि LAC तथा सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंध के लिए अत्यंत आवश्यक है.'
उन्होंने कहा, 'चीन द्वारा पिछले साल भारी संख्या में गोला-बारूद इकट्ठा किया गया था. हमारी सेनाओं ने चीन के खिलाफ उपयुक्त जवाबी कार्रवाई की थी. सितंबर से दोनों पक्ष एक दूसरे के साथ बातचीत की. LAC पर यथास्थिति करना हमारा लक्ष्य है. रक्षा मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि चीन ने 1962 के वक्त से ही काफी हिस्से पर कब्जा किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भी चीन को हमारी जमीन दी है. चीन का अनाधिकृत तरीके से 43 हजार वर्ग किलोमीटर कब्जा है. इससे चीन और भारत के संबंधों पर असर पड़ा है.
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राजनाथ सिंह ने कहा, 'चीन की ओर से कई बार अतिक्रमण की कोशिश हुई. भारतीय सेना ने चीन की कोशिश को विफल किया. सितंबर से दोनों पक्षों की ओर बात हुई. सीमा के सवाल को बात से ही हल हो सकता है. उच्च स्तर पर भी कई बार बात हुई है. हमने साफ किया है कि हर जगह से सेना पीछे हटे. चीन ने अपने एरिया ने बड़ी तादाद में सेना इकट्ठा किया.' उन्होंने कहा, 'भारतीय सेना ने चीन की हर चुनौती का सामना किया है. भारतीय सेना लद्दाख की सीमा की रक्षा करते हुए अड़िग हैं. भारत की संप्रभुता और अखंड़ता की रक्षा के लिए जवान खड़े हुए हैं.'
रक्षा मंत्री ने कहा, 'तीन सिद्धातों के आधार पर हम समाधान चाहते हैं. पहला- दोनों पक्षों द्वारा एलएसी को माना जाए और उसका आदर किया जाए. दूसरा- किसी भी पक्ष द्वारा वहां की स्थिति को बदलने की कोशिश न की जाए. तीसरा- सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पालन किया जाए.' उन्होंने कहा, 'फ्रिक्शन क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट जो एक-दूसरे के बहुत नजदीक हैं वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थाई एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं.'
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उन्होंने कहा, 'बातचीत के लिए हमारी रणनीति तथा दृष्टिकोण माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के इस दिशा निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच ज़मीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे. हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं.' राजनाथ सिंह ने कहा कि सितंबर, 2020 से लगातार सैन्य और राजनयिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि इस डिसइंगेजमेंट का परस्पर स्वीकार्य करने का तरीका निकाला जाए. अभी तक वरिष्ठ कमांडर के स्तर पर 9 राउंड की बातचीत हो चुकी है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ डिसइंगेजमेंट का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट को फेसड, कोऑर्डिनेडेड और वेरिफाइड मैनर में हटाएंगे.' उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल फिंगर एरिया में पेट्रोलिंग स्थगित रहेगी.
HIGHLIGHTS
- LAC की स्थिति पर रक्षा मंत्री ने दी जानकारी
- पीछे हटेगा चीन, सेना की वापसी की समझौता
- हम एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ेंगे- रक्षा मंत्री