Advertisment

सरहद पर इस चुनौती को देख ढीले पड़े चीन के तेवर, सैनिकों की तैनाती को लेकर करने लगा ऐसी बातें

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब चीन के तेवर ढीले पड़ने लगे हैं. इसका कारण यह है कि आगे अब कड़ाके की ठंड का मौसम आने वाला है.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
Chinese soldiers

सरहद पर इस चुनौती को देख ढीले पड़े चीन के तेवर, करने लगा ऐसी बातें( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब चीन (China) के तेवर ढीले पड़ने लगे हैं. इसका कारण यह है कि आगे अब कड़ाके की ठंड का मौसम आने वाला है. ऐसे में चीन अपने सैनिकों को वापसी की बातें करने लगा है. चीनी सैनिकों की ताजा हिमाकत के बाद भले ही चीन भारत पर तोहमत लगा रहा हो, मगर आसन्न भीषण ठंड को लेकर चार महीने से चल रहे विवाद में पहली बार चीन ने माना है कि यह इलाका सैनिकों की तैनाती के लिए कतई उपयुक्त नहीं है. और शायद यही वजह है कि चीन ने सीमा पर विवाद को जल्द से जल्द बातचीत के जरिए खत्म करने की उम्मीद जाहिर की.

यह भी पढ़ें: भारत-चीन में बढ़ते टकराव के बीच आया रूस का बड़ा बयान, कह डाली ये बात

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने भारत और चीन द्वारा एक-दूसरे पर सोमवार को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास हवा में गोलियां चलाने का आरोप लगाए जाने के कुछ घंटे बाद सैनिकों की वापसी की यह उम्मीद जताई. मीडिया ब्रीफिंग में यथास्थिति की बहाली के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता झाओ ने सैनिकों की वापसी के बारे में बात कही. उन्होंने कहा, 'आप अच्छा सोचें. हम सभी उम्मीद करते हैं कि हमारे सैनिक अपने शिविर क्षेत्रों में लौटें तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई और टकराव न हो.' झाओ ने कहा, 'आप जानते हैं कि उस जगह बहुत ही बुरी प्राकृतिक स्थिति है और यह चार हजार मीटर की ऊंचाई पर है.'

उन्होंने कहा, 'ठंड में इंसानों का वहां रहना ठीक नहीं है. इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों के जरिए तथा जमीनी वार्ता के जरिए हम सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं और सहमति पर पहुंच सकते हैं.' भारत पहले ही एलएसी से पूर्ण वापसी और तनाव खत्म करने के लिए मिलकर काम करने का चीन से आह्वान कर चुका है और उसने कहा है कि द्विपक्षीय संबंध सीमा की स्थिति पर निर्भर करेंगे.

यह भी पढ़ें: चीन ने फिर किया सरहद में घुसने का दुस्साहस, रेजांग-ला में आए PLA सैनिक

चीन ने भीषण ठंड के चलते बेहद विपरीत परिस्थतियों को आधिकारिक रूप से माना

तनाव के बीच यह पहली बार है जब चीन ने पर्वतीय लद्दाख क्षेत्र में भीषण ठंड के चलते बेहद विपरीत परिस्थतियों को आधिकारिक रूप से माना है. इस क्षेत्र में तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है और यह स्थिति तनाव के चलते क्षेत्र में तैनात किए गए दोनों देशों के हजारों सैनिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. क्षेत्र से आ रही खबरों में कहा गया है कि दोनों देशों ने क्षेत्र में लंबे समय तक अपने सैनिकों की तैनाती के प्रबंध किए हैं, खासकर पैंगोंग झील क्षेत्र में, जहां दोनों देशों की सेनाएं भारी अस्त्र-शस्त्रों के साथ एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं.

खून जमा देने वाली हवा है बड़ी चुनौती

पूर्वी लद्दाख में ठंड के मौसम में सैनिकों के सामने खून जमा देने वाली हवा से मुकाबला करना बड़ी चुनौती है. एलएसी से सटे ज्यादातर क्षेत्रों में सर्दियों में तापमान -25 से -40 डिग्री सेल्सियस गिर जाता है. कड़ाके की ठंड के दौरान यहां की कुछ स्थानों पर तापमान -50 डिग्री तक पहुंच जाता है. भारी बर्फ में आगे बढ़ना नामुमकिन होता है.

यह भी पढ़ें: कंगाल पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भारत को दी गीदड़भभकी, बालाकोट को लेकर कही ये बात

यह भी पढ़ें: रूस के दखल से डेमोक्रेटिक पार्टी को हो सकता है नुकसान : कमला हैरिस

china LAC Ladakh China India लद्दाख चीन भारत
Advertisment
Advertisment