चाइनीज मोबाइल कंपनी वीवो (VIVO) ने देश के ग्राहकों के साथ कैसे धोखा किया है, यह उस फरेब की कहानी है. वीवो ने ग्राहकों की प्राइवेसी का बंटाधार कर रखा है और देश की आंतरिक सुरक्षा को तार-तार करते हुए देश के दुश्मनों को सुरक्षा दीवार में सेंध लगाने का मौका दे दिया है. ट्राई के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वीवो मोबाइल कंपनी ने हजारों मोबाइल्स फोन्स की आईएसईआई एक जैसी कर दी. मेरठ (Meerut) जोन के अपर महानिदेशक के आदेश पर हुई जांच में यह खुलासा हुआ है.
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मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक के आफिस के असिस्टेंट क्लर्क सब इंस्पेक्टर आशाराम का वीवो मोबाइल स्क्रीन टूटने से खराब हुआ तो उन्होंने मेरठ के दिल्ली रोड स्थित वीवो कंपनी के सर्विस सेंटर पर उसकी रिपेयरिंग कराई. फोन सही होकर लौटा तो उसमें एरर आने लगा. एक्सपर्ट को जब फोन चैक कराया तो पता चला कि वीवो मोबाइल फोन की आईएमईआई बदली जा चुकी है. मामले की शिकायत आला अफसरों से हुई तो एडीजी ऑफिस की साइबर क्राइम सेल ने वीवो कंपनी से जवाब मांगा. लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया. मामले में टेलीकॉम कंपनी से हासिल डेटा से पता चला कि जो आईएमईआई सब- इंस्पेक्टर आशाराम के फोन में चल रही है, वह देश के 13357 अन्य फोन्स में भी संचालित है.
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आईएमईआई किसी भी मोबाइल का सुरक्षा कवच होता है. इससे पता चल पाता है कि कौन से मोबाइल का मालिक कौन है और किस मोबाइल में किसके स्वामित्व वाला सिमकार्ड संचालित है. लेकिन वीवो मोबाइल कंपनी ने टेलीकॉम रेग्युलेटरी ऑफ इंडिया के नियम-कायदे एक ही झटके में हवा में उड़ा डाले. अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ के आदेश पर एसएसपी मेरठ की साइबर क्राइम एक्सपर्ट टीम ने भी इस मामले की पड़ताल की तो पहले हुई जांच की रिपोर्ट सौ फीसदी खरी निकली. इस मामले में मेरठ शहर के मेडीकल कालेज थाने में वीवो मोबाइल कंपनी के कारिंदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है. मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक राजीव सभरवाल भी मानते है कि यह मामला देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है.
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