धोखेबाज और मक्कार पिपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों (Indian Army) पर हमला करने के लिए लोहे की रॉड, कील और पत्थर जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया था. चीनी सैनिकों के हमले के समय बिहार रेजीमेंट से जुड़े भारतीय सैनिक सीमा (Indo-China Border) पर नियमित गश्त पर थे. बताते हैं कि लगभग 300 चीनी सैनिकों ने कीलों से लिपटी लोहे की रॉडों से भारतीय सैनिकों को निशाना बनाया. अंतरराष्ट्रीय युद्ध नियमों के विपरीत हुए इस हमले का भारतीय सैनिकों ने भी करारा जवाब दिया और तीन दर्जन से अधिक चीनी सैनिकों को जमकर धुना. इनमें से कई सैनिकों की बाद में मौत हो गई. हालांकि चीनी सेना ने अपने सैनिकों के हताहत होने से जुड़ा आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया.
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चीनी सैनिकों को भी मिला मुंहतोड़ जवाब
हालांकि बिहार रेजीमेंट के जवानों ने भी चीनियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. चीन की क्षति के बारे में सटीक संख्या की जानकारी नहीं है. कहा गया है कि चीन को भी नुकसान का सामना करना पड़ा है. 40 से अधिक सैनिक या तो मारे गए हैं या फिर घायल हैं. इन्हें ले जाने के लिए चीन के कई चॉपर एलएसी के करीब दिखे. इस बड़े घटनाक्रम के बाद, दोनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मुलाकात कर हालात संभालने की कोशिश में लगे हुए हैं. सीमा पर इस घटना के बाद दोनों देशों बीच स्थिति बेहद गंभीर हो गई है. भारतीय सैन्य वशेषज्ञों ने इसे बर्बरता करार दे युद्ध नीतियों के खिलाफ बताया है. गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा पर जहां हिंसक झड़प हुई, वहां दोनों ही पक्षों की सेना को हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होती है. सामान्य झड़पों में भी नहीं.
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चीन ने पैदा किया है एलएसी पर तनाव
मई के शुरुआती दिनों में चीनी सैनिकों ने एलएसी पर आक्रामक रुख अपनाना शुरू किया था. पूर्वी लद्दाख में चार जगहों पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने घुसपैठ की. बड़ी संख्या में चीनी सैनिक आर्टिलरी और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास मौजूद हैं. गलवान घाटी और पैंगोंग झील, दो मुख्य पॉइंट हैं जहां दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. तमाम बातचीत के बाद भी चीन के सैनिक गलवान घाटी से हटने को तैयार नहीं थे. भारतीय सैनिक चीनी जवानों को कल रात पीछे धकेल रहे थे. इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच खूनी झड़प हो गई, जिसमें भारत के बीस जवान शहीद हो गए हैं.
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पीला बिच्छू कहलाती है चीनी सेना
चीनियों को यूं ही 'पीला बिच्छू’ नहीं कहा जाता. बिना वजह वे कब डंक मार दें, कहना मुश्किल है. 1962 में चीन ने दोस्ती का दिखावा कर भारत की पीठ में खंजर भोंका था. 58 साल बाद फिर उसने धोखा दे कर भारतीय सैनिकों को मारा है. इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश में भारत और चीन के सैनिकों के बीच भिड़ंत में चार जवान मारे गए थे. हालांकि सामान्य तौर पर 1967 के सिक्किम में हुए संघर्ष को दोनों देशों के बीच आखिरी खूनी संघर्ष के तौर पर माना जाता है. अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला इलाके में तब असम रायफल्स के चार जवान चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. उस वक्त चीनी सैनिकों ने एलएसी पार की और गश्त कर रहे 20 अक्तूबर 1975 को भारतीय जवानों पर हमला किया. चीन ने तब भारत पर एलएसी पार करने के बाद आत्मरक्षा में गोली चलाने का बहाना बनाया था.
HIGHLIGHTS
- लगभग 300 चीनी सैनिकों ने कीलों से लिपटी लोहे की रॉडों से भारतीय सैनिकों को निशाना बनाया.
- अंतरराष्ट्रीय युद्ध नियमों के विपरीत हुए इस हमले का भारतीय सैनिकों ने भी करारा जवाब दिया.
- मई के शुरुआती दिनों में चीनी सैनिकों ने एलएसी पर आक्रामक रुख अपनाना शुरू किया था.
Source : News Nation Bureau