भारत चीन सीमा पर चीन का व्यवहार सिर्फ भारतीय सैनिकों के साथ ही खराब नहीं है बल्कि कुछ और लोग भी हैं जो चीन के व्यवहार को बहुत करीब से जानते हैं. भारत चीन बॉर्डर के सीमांत गांव में रहने वाले पूरन राज सिंह एक शेफर्ड (गड़ेरिया) है. स्थानीय भाषा में बकरवाल भी कहा जाता है.
शेफर्ड पूरन राज सिंह 57 साल के हैं और उनका कहना है कि बीते कई सालों से वह लगातार भेड़ बकरियों को बॉर्डर के क्षेत्रों की ओर ले कर जा रहे हैं. शेफर्ड पूरन राज बताते हैं कि गर्मियों में अपनी भेड़ बकरियों को उच्च हिमालई क्षेत्रों में ले जाते हैं. बॉर्डर के आसपास ऊंची चोटियों पर भेड़ बकरियों के लिए अच्छी हरी घास होती है इन क्षेत्रों में बारिश बहुत कम होती है इसलिए भी शेफर्ड को यह जगह पसंद आती हैं.
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शेफर्ड पूरन राज सिंह बताते हैं कि कई बार चीन के सैनिक उन्हें बॉर्डर के क्षेत्रों से भगा देते थे. बॉर्डर में काफी लंबा क्षेत्र नो मेन्स लैंड है जहां पर अक्सर शेफर्ड अपनी भेड़ बकरियों को लेकर चले जाते हैं. ऐसे में जब चीनी सैनिक यहां पहुंचते हैं तो वह भारतीय शेफर्ड के साथ बहुत अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं.
शेफर्ड पूरन राज बताते हैं कि कई बार चीनी सैनिकों ने उनकी डंडों से पिटाई भी की है. चीनी सैनिक उनके आटे में नमक मिलाकर चले जाते थे और उनके केरोसिन ऑयल को गिरा कर चले जाते थे. कभी अगर शेफर्ड के पास चीनी चाय पत्ती और गुड़ मिलता था तो उसे भी चीनी सैनिक अपने साथ लेकर चले जाते थे.
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कई बार चीनी सैनिकों ने शेफर्ड के टैंटों को फाड़कर उनमें आग भी लगा दी. हालांकि ऐसे मौकों पर जब शेफर्ड लौटकर अपने बॉर्डर के अंदर आते थे तो आईटीबीपी की टीम इनको पूरा सपोर्ट करती है. बीमार होने पर आइटीबीपी की टीम मरहम पट्टी भी करती है.
शेफर्ड पूरन राज सिंह भले ही कैमरे पर नहीं बोलते हैं लेकिन कैमरा बंद होने के बाद वह हमें बताते हैं कि चीन के सैनिक बार-बार अतिक्रमण करने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन भारतीय सेना हर बार उनके इरादों को पूरा नहीं होने देती.
Source : News Nation Bureau