भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) हिंसक आमना-सामना होने के बाद नई दिल्ली स्थित भारतीय सत्ता के गलियारों में गहमागहमी का माहौल रहा. रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारी देर शाम तक बैठक करते रहे. सीडीएस जनरल विपिन रावत ने शाम को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन पर हालात से अवगत कराया. विदेश मंत्री एस जयशंकर भी एक्टिव रहे.
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देर शाम भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, '15 जून की देर शाम के बाद चीनी सैनिकों की ओर से एकतरफा रूप से यथास्थिति बदलने का कुत्सित प्रयास किया गया, जिससे हालात खराब हुए और हिंसक आमना-सामना हुआ. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, इस अनहोनी से बचा जा सकता था. उधर चीन में भी भारतीय राजदूत ने चीन के उप विदेश मंत्री से मुलाकात की.
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में हालांकि यह भी कहा गया कि भारत सीमा क्षेत्रों में शांति और बातचीत के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने को लेकर आश्वस्त है. हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भी दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं.
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विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा, सीमा प्रबंधन के लिए भारत का स्पष्ट मत है कि उसकी सभी गतिविधियां हमेशा एलएसी के भारतीय पक्ष में हैं. हम चीनी पक्ष से भी यही अपेक्षा करते हैं. इस बीच यह भी खबर है कि चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने चीन के उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई से मुलाकात कर पूरे मामले पर आपत्ति जताई है.
Source : News Nation Bureau