Ram Vilas Paswan pass away: देश के प्रमुख दलित नेताओं में से एक केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का बृहस्पतिवार को निधन हो गया. उनके पुत्र और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने पिता के निधन की सूचना दी. इसके बाद चिराग पासवान ने ट्वीट किया, ‘पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं. Miss you Papa...’
लोजपा के संस्थापक और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पासवान कई सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे. हाल ही में उनके हृदय की सर्जरी हुई थी. समाजवादी आंदोलन के स्तंभों में से एक पासवास बाद के दिनों में बिहार के प्रमुख दलित नेता के रूप में ऊभरे और जल्दी ही राष्ट्रीय राजनीति में अपनी विशेष जगह बना ली. 1990 के दशक में दलितों से जुड़े मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने में पासवान की भूमिका महत्वपूर्ण रही.
पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
Miss you Papa... pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
पासवान के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लिखा है, ‘केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है. उनकी गणना सर्वाधिक सक्रिय तथा सबसे लंबे समय तक जनसेवा करने वाले सांसदों में की जाती है. वे वंचित वर्गों की आवाज़ मुखर करने वाले तथा हाशिए के लोगों के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे.
उन्होंने लिखा है, ‘आपातकाल विरोधी आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों से लोकसेवा की सीख लेने वाले पासवान तेज तर्रार समाजवादी के रूप मे उभरे. उनका जनता के साथ गहरा जुड़ाव था और वे जनहित के लिए सदा तत्पर रहे. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदना.
पासवान के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, दुख बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं; हमारे देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जो शायद कभी नहीं भरेगा. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि रामविलास पासवान का निधन व्यक्तिगत क्षति है. मैंने एक ऐसा मित्र और सहकर्मी खोया है जो पूरे जुनून के साथ हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहता था कि प्रत्येक गरीब व्यक्ति सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पासवान कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर राजनीति में ऊपर आए. युवा नेता के रूप में आपातकाल के दौरान उन्होंने निरंकुशता और हमारे लोकतंत्र पर प्रहार का विरोध किया था. वह उत्कृष्ट सांसद और मंत्री थे, जिन्होंने विभिन्न नीतिगत क्षेत्रों में चिरस्थायी योगदान दिया है.
खगड़िया में 1946 में जन्मे पासवान का चयन पुलिस सेवा में हो गया था, लेकिन उन्होंने अपने मन की सुनी और राजनीति में चले आए. पहली बार 1969 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पिधायक निर्वाचित हुए. वह आठ बार लोकसभा के सदस्य चुने गए और कई बार हाजीपुर संसदीय सीट से सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीते.
Source : News Nation Bureau