केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को निर्देश दिए हैं कि वह राष्ट्र गान और राष्ट्रीय गीत के एतिहासिक तथ्यों के बारे में एक बार नए सिरे से पता लगाए।
सीआईसी का यह निर्देश तब आया है जब इससे पहले पीएमओ ने इसी विषय पर एक आरटीआई के तहत मिले सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया था। पीएमओ ने कहा था कि यह विषय उसके अंतर्गत नहीं आता।
इस आरटीआई को हरिंदर ढिंगरा ने दाखिल किया था। जवाब नहीं मिलने पर पिछले महीने आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगड़ा ने सेंट्रल इंर्फोमेशन कमीशन में याचिका दायर कर आग्रह किया था कि उन्हें उनके सवालों का जवाब पीएम ऑफिस से दिलवाया जाए।
बहरहाल, इस पूरे मसले पर सीआईसी कमिश्नर एम. श्रीधर आचार्यलु ने कहा है कि यह सच में हैरानी की बात है कि राष्ट्र से जुड़े इन विषयों पर सभी कार्यालयों के सेंट्रल पब्लिक इनफॉरमेशन ऑफिसर्स बिना सोचे एक-दूसरे को फाइल बढ़ाते रहे।
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श्रीधर आचार्यलु के मुताबिक यह चुप्पी कई प्रकार के संदेह को पैदा करती है कि क्या वाकई केंद्रीय सरकार के पास 'जन गण मन' और 'वंदे मातरम' से जुड़ी जानकारी है या नहीं।
सूचना आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला देते हुए कहा, 'राष्ट्रगान के प्रति लोगों में सम्मान की भावना भरने के लिए केंद्र सरकार को जन गण मन को राष्ट्रगान घोषित करने के ऐतिहासिक महत्व एवं प्रमुख कारणों को लेकर लोगों को शिक्षित करने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए।
साथ ही श्रीधन ने कहा, 'लोगों को राष्ट्रगान का सम्मान न करने या उसके सम्मान में खड़ा न होने के लिए दंडित करने से पहले उन्हें इसकी महानता से वाकिफ कराना जरूरी है।'
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सूचना आयुक्त ने कहा कि सोशल मीडिया पर अविश्वसनीय बयानों के दुष्प्रचार से पैदा हुए भ्रम को देखते हुए भी देश के लोगों को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के बारे में विश्वसनीय सूचना देने की जरूरत है।
Source : News Nation Bureau