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SC ने पूछा क्या माना जाए NEET पेपर लीक हुआ?, 11 जुलाई को होगी मामले की अगली सुनवाई

5 मई को रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थियों ने नीट पेपर लीक को लेकर सवाल खड़े किए.इसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन किया गया. नीट यूजी 2024 में 67 अभ्यर्थियों को एक जैसे नंबर मिलने पर याचिकार्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

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Prashant Jha
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NEET

सुप्रीम कोर्ट में नीट पर सुनवाई( Photo Credit : फाइल फोटो)

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सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर लीक मामले पर सोमवार को सुनवाई हुई. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने NEET पेपर लीक मामले की याचिकाओं पर सुनवाई की. सीजेआई ने एनटीए से पूछा कि बैंक लॉकर से पेपर आने में देरी हुई, क्या माना जाए कि NEET पेपर लीक हुआ ? कोर्ट ने पूछा कि पेपर लॉकर से कब निकाले गए? परीक्षा किस समय हुई?  इस पर NTA के वकील ने कहा कि 5 मई को लगभग 10:30-11 बजे के बीच निकाले गए थे. फिर सीजेआई ने पूछा कि कितने सेंटर और कितने छात्र परीक्षा में शामिल हुए? इसपर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा करीब 24 लाख बच्चे शामिल हुए. उन्होंने फिर पूछा कि कागजात विदेश में कैसे वितरित किए गए? उन्हें विदेश कब भेजा गया? इस पर एनटीए के वकील कौशिक ने बताया कि दूतावासों के जरिए पेपर भेजे गए. सीजेआई ने आगे पूछा कि उन्हें दूतावासों में कैसे भेजा गया? राजनयिक बैग या कूरियर. इस पर एनटीए ने कहा कि हम पता लगाएंगे. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में दो अन्य न्यायाधीश (जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा) की पीठ ने सुनवाई की. 

CJI ने आगे पूछा कि दो प्रश्न पत्र पुस्तिकाएं कब शहरों में भेजी गईं? क्या उन्हें इन शहरों में 2 बैंकों में जमा किया गया था? प्रश्न पत्र एक व्यक्ति द्वारा तैयार किए जाते हैं या कई लोगों द्वारा..?सीजेआई ने कहा की परीक्षा और पेपर लिक होने की घटना में समय का बहुत अंतर है. CJI ने टिप्पणी करते हुए कहा की अगर परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है तो दोबारा परीक्षा के आदेश दे सकते हैं, लेकिन हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि 23 लाख छात्र हैं. ये भी देखना होगा की पेपर लिक किस तरह से हुआ है. यह प्रतिकूल मामला नहीं है. क्योंकि हम जो भी फैसला लेंगे. उससे लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य प्रभावित होगा.  67 उम्मीदवारों ने 720/720 अंक पाए थे. यह अनुपात बहुत कम है. दूसरा मामला केंद्रों में बदलाव का है. यदि कोई अहमदाबाद में पंजीकरण करता है और अचानक पहुंच जाता है. तो हमें यह पता करना होगा कि यह कैसे हुआ. CJIने NTA से पूछा कि पेपर किसकी कस्टडी में रखे गए थे? NTA ने पेपर शहरों के बैंकों को कब भेजे? हम जानना चाहते हैं कि प्रिंटिंग प्रेस कौन सी है और ट्रांसपोर्टेशन के क्या इंतजाम थे?

केंद्र ने री-एग्जाम पर रखी अपनी दलील

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने री-एग्जाम को लेकर अपनी बात रखी. शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के डायरेक्टर वरुण भारद्वाज ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके नीट एग्जाम रद्द की मांग का विरोध किया था. सरकार ने हलफनामे में कहा कि कथित गड़बड़ी केवल पटना और गुजरात के गोधरा केंद्रों में हुई थी. ऐसे में पूरी परीक्षा रद्द करना उचित नहीं होगा. अगर पूरी परीक्षा प्रक्रिया रद्द कर दी जाती है तो यह लाखों छात्रों के शैक्षणिक करियर को भारी नुकसान होगा. फिलहाल पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच कर रही है.

CJI ने याचिकाकर्ता के वकील से क्या कहा? 

अपने हलफनामे में एक जगह एनटीए ने कहा है कि ऐसा लगता है कि यह सब बहुत छोटे स्तर पर हुआ है. वे दोनों बातें कह रहे हैं. उनका कहना है कि सीबीआई जांच कर रही है. पटना, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और झारखंड में 6 एफआईआर दर्ज हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्रश्नपत्र के बक्सों के साथ छेड़छाड़ का पता नहीं चल सका. इस बात की जांच कि जा रही है कि बक्सों की कस्टडी के दौरान किस समय लीकेज हुई. आपके मुताबिक परीक्षा की पूरी विश्वसनीयता खत्म हो गई है और दागी और बेदाग में अंतर करना संभव नहीं है. इसका तथ्यात्मक आधार क्या है?

याचिकाकर्ता के वकील-  बिहार पुलिस, जिसने पहली एफआईआर दर्ज की थी, उसने पाया कि पेपर लीक हुआ था. जांच में उन्होंने पाया कि प्रश्नपत्र को पहुंचाने के लिए निर्धारित मानक एसओपी का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया था. उन्होंने पाया कि प्रश्नपत्र लीक करने वाले गिरोह द्वारा मोबाइल फोन पर इसे रिसीव किया गया था. 

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जो भी निर्णय लेंगे उससे लाखों स्टूडेंट्स प्रभावित होंगे- सुप्रीम कोर्ट

CJI ने कहा की अगर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है? इस पर हमें विस्तार से बताइए. जो भी हम फैसला लेंगे उससे लाखों छात्र प्रभावित होंगे. CJI ने कहा की 720 अंक जिन छात्रों को मिले है उनमें से कोई रेड फ्लैग तो नही? अगर ऐसा हो तो क्या इसकी जांच हो सकती है? CJI: अगर लीक टेलीग्राम/व्हाट्सएप या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है तो यह जंगल में आग की तरह फैलता है. वहीं अगर लीक 5 तारीख की सुबह हुआ तो फैलने का समय सीमित था. यह 23 लाख छात्रों से जुड़ा मामला है.

SC ने केंद्र सरकार से भी पूछा सवाल

CJI ने एनटीए से पूछा कि हमने 100 शीर्ष रैंकिंग वाले छात्रों के पैटर्न की जांच की. विश्लेषण से पता चला कि वे 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 56 शहरों में 95 केंद्रों से ये छात्र थे. CJI ने पूछा कितने FIR दर्ज हुए है? NTA की तरफ से कहा गया की एक पटना में हुआ है. बाकी याचिकाकर्ता 6 एफआइआर का जिक्र रहे हैं. बाकी जानकारी अगर अदालत चाहे तो हम कल दे सकते है?

CJI- हम जानना चाहते हैं कि लीक का तरीका क्या है? क्योंकि हम 23 लाख छात्रों के भविष्य की बता कर रहे हैं. इसमें छात्रों का केंद्र तक आने जाने का खर्च आदि भी शामिल है. हमें इस बात को भी देखना है की भविष्य में इस तरह की बात न हो उसको लेकर क्या किया जा सकता है. हम प्रतिष्ठत परीक्षा की बात कर रहे हैं. मिडल क्लास के अभिभावक बच्चों को मेडिकल मैं जाने के लिए कहते हैं

CJI- हम सरकार से ये जानना चाहते हैं कि सरकार ने इस मामले में क्या किया है? केंद्र की तरफ से गलत करने वाले और लाभार्थियों पर क्या करवाई की गई है.

CJI- अक्सर आप सिर्फ़ इसलिए पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते क्योंकि 2 छात्र गड़बड़ी में शामिल थे. इसलिए, हमें लीक की प्रकृति के बारे में सावधान रहना चाहिए.

परीक्षा रद्द करना अंतिम विकल्प

CJI- NTA और केंद्र की तरफ से गलत करने वाले और लाभार्थियों पर क्या करवाई की गई है. NTA ने कहा की बिहार मामले में जानकारी ले कर अदालत को बताएंगे. वही गुजरात मामले में पेपर लिक नहीं हुआ था. परीक्षा शुरू होने से पहले जालाराम सेंटर पर करवाई हुई और पेपर ले लिए गए थे. 1563 छात्रों ने दोबारा परीक्षा दी, जिन्हें ग्रेस मार्क दिए गए थे. क्या हम लाभार्थी छात्रों का पता लगाने में सक्षम है, अगर ऐसा नहीं है तो परीक्षा को रद्द किया जा सकता है. इस लिए हम सारी जानकारी चाहते हैं. परीक्षा रद्द करना अंतिम विक्लप हो सकता है. इससे लाखों छात्रों का भविष्य खराब हो सकता है. CJI ने कहा की क्या इस मामले में किसी एक्सपर्ट को शामिल कर सकते हैं. इस मामले में सेल्फ डिनायल सही नहीं होगा. 100 फीसदी अंक 67 छात्रों को मिले हैं. हमें इस बात को समझना होगा की मार्क देने का पैटन क्या है?

11 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

CJI- अगर एकबार के लिए हम यह मान लें  कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं, तो आज हम धोखाधड़ी के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करने जा रहे हैं? लाभार्थियों की पहचान करने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है? NEET मामले में सुप्रीम कोर्ट बुधवार के बजाए गुरुवार को सुनवाई करेगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 38 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इनमें से 34 याचिकाएं विद्यार्थी, टीचर्स और कोचिंग संस्थानों ने लगाई थी. वहीं, 4 याचिकाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने दायर की थी.

Source : News Nation Bureau

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