‘जजों की तुलना भगवान से करना बहुत खतरनाक’, CJI चंद्रचूड़ बोले- …तो मैं हमेशा चुुप हो जाता हूं

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों की तुलना भगवान से करना खतरनाक है. उन्होंने यह बात एक कार्यक्रम में कही.

author-image
Publive Team
New Update
CJI Chandrachud

CJI Chandrachud( Photo Credit : Social Media)

Advertisment

जजों की तुलना भगवान से करना बहुत खतरनाक है. यह परंपरा सही नहीं है. जजों की जिम्मेदारी है कि वे आम लोगों के हितों को ध्यान में रखे और उनके हित में काम करें…यह कहना है भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें अकसर ऑनर, लॉर्डशिप या फिर लेडीशिप कहकर पुकारा जाता है. लोग जब कहते हैं कि अदालत न्याय का मंदिर है तो यह बहुत बड़ा खतरा लगता है क्योंकि ऐसे में हम खुद को उस न्याय के मंदिर का भगवान मान लेते हैं.

मैं ऐसे मौके पर चुप हो जाता हूं…
भारत के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ शनिवार को नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी पहुंचे. यहां उन्होंने क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरा उन्होंने कहा कि जब लोग मेरे पास आते हैं और मुझसे कहते हैं अदालत न्याय का मंदिर है तो मैं उनके सामने कुछ भी नहीं बोल पाता हूं. क्योंकि मंदिर का मतलब होता है भगवान का घर. सीजेआई ने आगे कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि न्यायाधीशों का काम लोगों की सेवा करना है. जब आप खुद को ऐसा व्यक्ति मानेंगे कि जो लोगों की सेवा करता है तो आपके अंदर दूसरे के प्रति संवेदना जागेगी. ऐसा करने से पूर्वाग्रह मुक्त न्याय का भाव पैदा होगा.  

सीजेआई ने किया संवैधानिक नैतिकता का जिक्र
चीफ जस्टिस ने कार्यक्रम में आगे कहा कि किसी क्रिमिनल केस में जब सजा सुनाई जाती है तो जज संवेदना से भर जाते है. क्योंकि सजा आखिरकार किसी इंसान को ही सुनाई जा रही है. मेरा मानना है कि संवैधानिक नैतिकता की अवधारणाएं काफी अहम है. न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के लिए बल्कि जिला स्तर के जजों के लिए भी यह महत्वपूर्ण है. न्यायपालिका के साथ आम लोग सबसे पहला संपर्क जिला अदालत से ही शुरू होता है. 

फैसला आसान भाषा में हो
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका के कामकाम में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दिया. उन्होंने सीजेआई ने कहा कि आम लोगों की फैसले तक पहुंच और इसकी भाषा आसान हो. भाषा सबसे बड़ी बाधा होती है. टेक्नोलॉजी इस बाधा को दूर कर सकता है. अधिकतर फैसले अंग्रेजी में लिखे जाते हैं. टेक्नोलॉजी के माध्यम से हम उसका अनुवाद कर सकते हैं. हम आज 51 हजार फैसलों का हिंदी में अनुवाद कर रहे हैं. 

Source : News Nation Bureau

Supreme Court Cji chandrachud supreme court news
Advertisment
Advertisment
Advertisment