सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) दीपक मिश्रा का कार्यकाल मंगलवार को ख़त्म हो रहा है. आज बतौर CJI उनका आख़िरी दिन है. जस्टिस रंजन गोगोई देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस रंजन गोगोई का नाम केंद्र सरकार को भेजा था. जिसके बाद जस्टिस गोगोई को देश का अगला चीफ जस्टिस बनना तया माना जा रहा था. CJI दीपक मिश्रा अपने कार्यकाल के आखिरी दिन आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर फैसला सुनाएंगे.
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से देश में कई जगह विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है, इस दौरान भीड़ द्वारा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काफी मामला सामने आया है. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को जि़म्मेदारी तय करने के लिए गाइडलाइंस जारी करेगी.
CJI दीपक मिश्रा का कार्यकाल हमेशा ही चर्चा से भरपूर रहा. भारत के न्यायिक इतिहास में शायद एकलौते प्रधान न्यायाधीश हैं, जिनपर अपने वरिष्ठतम सहकर्मियों की बगावत झेलनी पड़ी. इसके अलावा उनके कार्यकाल के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव विफल रहा.
बतौर प्रधान न्यायाधीश 13 महीने पांच दिन का उनका कार्यकाल शायद सबसे उथल-पुथल वाला रहा जब उनकी बिरादरी के न्यायाधीशों और कुछ वकीलों ने विभिन्न पीठों को मामले के वितरण में उनकी कार्यप्रणाली और संविधान पीठ के मामले को शीर्ष अदालत के नए न्यायाधीशों की पीठ में सूचीबद्ध करने को लेकर उनपर खुलेआम सवाल उठाया.
चीफ जस्टिस मिश्रा को इस बात का श्रेय दिया जाएगा कि उन्होंने ही शीर्ष अदालत की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की अनुमति दी जिससे अदालती कार्यवाही को घर की बैठक से देखना संभव होगा.
अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री, धारा 497 (एडल्टरी), धारा 377 (समलैंगिकता), भीमा कोरेगांव हिंसा में एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी, नौकरी के प्रमोशन में आरक्षण, आधार, अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े एक केस समेत कई मामलों में फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर होंगे, जिसके बाद रंजन गोगोई अपना पदभार संभालेंगे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए गोगोई ने 7 ऐसे महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है, जिनकी चर्चा हरदम होती है. इनमें से एक मामला NRC का भी है. इसके तहत असम में नागरिकों की पहचान की जा ही है.
पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र हैं जस्टिस गोगोई
जस्टिस गोगोई असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के पुत्र हैं. इसके साथ ही वह पूर्वोत्तर भारत से इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले जज बन जाएंगे. उनके नाम की सिफारिश वर्तमान चीफ जस्टिस मिश्रा ने की है जो 2 अक्टूबर को सेवानिवृत्ति होने जा रहे हैं.
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गुवाहाटी हाईकोर्ट में बने थे जज
वर्ष 1978 में गुवाहाटी हाईकोर्ट से वकालत शुरू करने वाले जस्टिस गोगोई 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बने थे. वर्ष 2012 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था और इसके बाद वे चुनाव सुधार से लेकर आरक्षण सुधार तक के कई अहम फैसलों में शामिल रहे हैं.
Source : News Nation Bureau