पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि फसलों के उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का अलग अलग प्रभाव पड़ा है और सूखे तथा बाढ़ को बर्दाश्त करने वाले बीजों की किस्म विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जावड़ेकर ने प्रश्नकाल के दौरान उच्च सदन में यह भी बताया कि देश न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है बल्कि निर्यात भी कर सकता है.
उन्होंने पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया, ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि में नवाचार (एनआईसीआरए) के तहत जलवायु परिवर्तन से संबंधित अध्ययन किए हैं. आईसीएआर ने चावल, गेहूं, मक्का, मूंगफली, चना और आलू जैसी कुछ फसलों के उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के अस्थिर प्रभाव की रिपोर्ट दी है.’
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जावड़ेकर ने बताया, ‘एनआईसीआरए के तहत गर्मी, सूखे और बाढ़ के प्रति सहनशील चावल, दाल तथा जल जमाव एवं ऊंचे तापमान के प्रति सहनशील टमाटर आदि विकसित करने के प्रयास जारी हैं.’
उन्होंने बताया, ‘इसके अलावा, एनआईसीआरए के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन भाग को देश के जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से संवेदनशील 151 जिलों में कार्यन्वित किया जा रहा है.’
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जावड़ेकर ने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं के बारे में किसानों को जानकारी देने के लिए और पैदावार बढ़ाने के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के उद्देश्य से एनआईसीआरए परियोजना के तहत पूरे देश में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेक राज्यसभा में बोले
- जलवायु परिवर्तन कृषि उत्पादन को कर रहा है प्रभावित
- बाढ़ को बर्दाश्त करने वाले बीजों की किस्म विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं