प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अलग-थलग होकर लड़ाई लड़ने के बजाय एकीकृत, व्यापक और समग्र सोच को अपनाया जाना चाहिए.उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संपूर्ण विश्व तभी तेजी से प्रगति कर सकता है जब विकासशील राष्ट्रों को बड़े पैमाने पर तकनीक और वित्तीय सहायता मुहैया करायी जाएगी.
जी-20 सम्मेलन में ‘पृथ्वी के संरक्षण’ विषय पर अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत न सिर्फ पेरिस समझौते के अपने लक्ष्य को हासिल कर रहा है बल्कि उससे भी अधिक कर रहा है. उन्होंने कहा, पर्यावरण के अनुरूप रहने की हमारी पारम्परिक प्रकृति और सरकार की प्रतिबद्धता से भारत ने कम कार्बन उत्सर्जन और जलवायु अनुकूल की विकास प्रक्रिया को अपनाया है.
उन्होंने कहा कि पूरा विश्व तभी तेज गति से प्रगति कर सकता है जब विकासशील देशों को बड़े पैमाने पर तकनीक और वित्तीय सहायता मुहैया करायी जाए.प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मानवता की समृद्धि के लिए हर एक को समृद्ध होना पड़ेगा. श्रम को सिर्फ उत्पादन से जोड़कर देखने की अपेक्षा हर श्रमिक की मानव गरिमा पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि ऐसे रुख से ही पृथ्वी का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा.
सऊदी अरब द्वारा आयोजित दो दिवसीय 15वें जी-20 शिखर सम्मेलन में मोदी ने पहले दिन भी शिरकत की थी.इस शिखर सम्मेलन में 19 सदस्य राष्ट्रों से संबंधित शासनाध्यक्षों व राष्ट्राध्यक्षों, यूरोपीय संघ, अन्य आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने हिस्सा लिया.कोविड-19 महामारी के मद्देनजर यह शिखर सम्मेलन डिजिटल माध्यम से संचालित किया गया.
Source : Bhasha