गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प पर अब पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि जब चीन ने कर्नल को मारा तो वहां मौजूद भारतीय सौनिकों ने गोली क्यों नहीं चलाई. वहां मौजूद दूसरे अधिकारियों ने भी गोली चलाने के आदेश क्यों नहीं दिए. उन्होंने कहा, कि अगर मैं वहां होता तो गोली चलाने के आदेश तुरंत दे देता.
एक मीडिया चैनल से खास बातचीत में अमरिंदर सिंह ने कहा कि आज की सेना काफी मजबूत है. हर मोर्चे पर जवाब देने में सक्षम है. तो फिर एक के बदले तीन चीनी फौजियों को ढेर क्यों नहीं किया गया. इस दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीएम मोदी पर निशाना साधा औऱ कहा कि चीन हमेशा से धोखा देता आया है. हमने 20 जवान खोए हैं, इस पर पीएम मोदी की जिम्मेदारी होनी चाहिए.
बता दें, इससे पहले पूर्वी लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा (Indo-China Border) पर हिंसक संघर्ष के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मोदी सरकार को घेरते हुए पूछा था कि आखिर भारतीय सैनिकों को बगैर हथियार के सीमा पर भेजा ही क्यों गया? इसके जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने गुरुवार शाम को ट्वीट कर राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए उन संधियों का जिक्र किया, जिसकी वजह से परमाणु क्षमता संपन्न दो राष्ट्र यानी भारत-चीन सीमा पर भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसके पहले बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी राहुल गांधी को आईना दिखाया था.
हिंसक संघर्ष में भी नहीं चली गोली
गौरतलब है कि लद्दाख और सिक्किम भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच सोमवार को दोनों पक्षों के जवान भिड़ गए. उस वक्त भारतीय जवान नियमित पेट्रोलिंग पर थे, जब उन्होंने पीएलए के सैनिकों को यथास्थिति बरकरार रखने को कहा और इसके फलस्वरूप आरोप-प्रत्यारोप के बीच लोहे की रॉड, पत्थर और अन्य देसी हथियारों से मारपीट शुरू हो गई. हालांकि दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे पर एक भी गोली नहीं चलाई. इस हिंसक संघर्ष में भारतीय सेना के 20 अधिकारी और जवान तो चीनी सेना के 37 अधिकारी और जवान हताहत हो गए. जाहिर है इसके बाद ही राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा.
ये है हथियार नहीं चलाने की मूल वजह
दरअसल, भारत और चीन ने तय किया है कि दोनों के बीच चाहे कितने गहरे मतभेद हों, सीमा पर इसका असर नहीं पड़ना चाहिए. दोनों देशों ने अब तक इसका पूरी तरह पालन किया था. दोनों देशों ने यह तय किया है कि सीमा पर अग्रिम चौकियों पर जो भी सैनिक तैनात होंगे, उनके पास हथियार नहीं होंगे और अगर रैंक के मुताबिक अफसरों के पास बंदूक होगी, तो उसका मुंह जमीन की तरफ होगा, यही वजह है कि एलएसी पर दोनों तरफ के सैनिक निहत्थे एक-दूसरे को अपने इलाके से खदेड़ते हैं और हथियारों का इस्तेमाल नहीं होता है. एलएसी पर तैनात दोनों तरफ के सैनिकों को इसकी खास ट्रेनिंग दी जाती है कि कुछ भी हो जाए हथियार का इस्तेमाल नहीं करना है.
Source : News Nation Bureau