दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और भाकपा नेता कन्हैया कुमार के देश विरोधी नारों के मामले पर निर्णय लेना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, फिर भी वह इस पर जल्द निर्णय के लिए विधि विभाग से कहेंगे. दिल्ली पुलिस ने जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाए जाने के कथित मामले में कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में आरोप-पत्र (चार्जशीट) दायर किया है. यह आरोप-पत्र एक साल पहले जनवरी 2019 में दायर किया गया था. तब दिल्ली पुलिस को अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि जब तक दिल्ली सरकार आरोप-पत्र दायर करने की मंजूरी नहीं देती, तब तक हम इस पर संज्ञान नहीं लेंगे.
दिल्ली सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, कन्हैया के मामले में आरोप-पत्र को मंजूरी देना या न देना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. यह एक स्वतंत्र व अलग विभाग का मामला है. फिर भी हम संबंधित विभाग से कहेंगे कि वह जल्द ही इस पर अपना निर्णय ले. दरअसल, देशद्रोह के मामले में सीआरपीसी के सेक्शन 196 के तहत जब तक सरकार मंजूरी नहीं दे देती, तब तक अदालत आरोप-पत्र पर संज्ञान नहीं ले सकती. इसलिए कन्हैया कुमार के खिलाफ चलाए जा रहे देशद्रोह के मामले में दिल्ली सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है.
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पुलिस ने कहा था 10 के भीतर लेंगे मंजूरी
अदालत इस मामले में पहले ही कह चुकी है कि आरोप-पत्र पर सरकार से अनुमति लेनी होगी. इस पर पुलिस ने 10 दिनों के अंदर मंजूरी ले आने की बात कही थी, लेकिन दिल्ली सरकार से अब तक मंजूरी नहीं मिली है. दिल्ली सरकार की अनुमति मिलने तक अदालत आरोप-पत्र में देशद्रोह वाली धारा पर संज्ञान नहीं लेगी. अगर दिल्ली सरकार ने अनुमति नहीं दी तो देशद्रोह की धारा स्वत: खत्म हो जाएगी. दिल्ली सरकार की अनुमति लिए बिना ही आरोप-पत्र दाखिल करने पर सवाल भी उठ रहे हैं. दिल्ली सरकार के पास कन्हैया कुमार के आरोप-पत्र पर अनुमति के लिए यह फाइल पिछले एक साल से लंबित है.
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बीजेपी ने लगाया था केजरीवाल पर कन्हैया को बचाने का आरोप
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने इस पूरे प्रकरण में आरोप-पत्र दायर करने के लिए तीन साल का समय लिया है. अब दिल्ली सरकार का कानूनी मामलों से संबंधित विभाग इस विषय का अध्ययन कर रहा है. बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार का संबंधित विभाग जल्द ही इस मसले पर अपना निर्णय लेगा. गौरतलब है कि कन्हैया कुमार के आरोप-पत्र को अनुमति दिए जाने का मामला विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा उठाया गया था. भाजपा ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए केजरीवाल पर कन्हैया कुमार को बचाने का आरोप भी लगाया है.