सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा के उस याचिका को खारजि कर दिया जिसमें उन्होंने कोयला घाटाले में शुरूआती जांच में आरोपी बनाए जाने और एसआईटी जांच के आदेश को वापस लेने की मांग की थी।
जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने कहा, 'हमें ऐसा कोई कारण नजर नहीं आ रहा है जिससे 23 जनवरी को कोर्ट के दिए जांच के आदेश को वापस ले लिया जाए।
कोर्ट का मानना है कि शुरूआती जांचों में जो चीजें सामने आई हैं उसको देखकर कोयले घाटाले के समय सीबीआई निदेशक रहते हुए उनके (रंजीत सिन्हा) भूमिका की जांच जरूरी है। इसी साल 23 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में एसआईटी बनाकर इस मामले में रंजीत सिन्हा के भूमिका की जांच करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी को वर्तमान में सीबीआई के निदेशक हेड कर रहे हैं। जबकि पैनल को सीबीआई के ही पूर्व स्पेशल निदेशक एमएल शर्मा लीड कर रहे हैं। एसीआईटी ने शुरूआती जांच में ये पाया है कि सीबीआई निदेशक रहते हुए रंजीत सिन्हा ने कुछ ऐसे लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की थी जो इस घोटाले के लिए जिम्मेदार थे।
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रंजीत सिन्हा की तरफ से कोर्ट में वकील विकास सिंह पेश हुए थे। विकास सिंह ने कोर्ट में आदेश को वापस लेने के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि पूर्व सीबीआई निदेशक को इन आरोपों पर अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला।
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विकास सिंह के मुताबिक उनपर जो आरोप है कि उनके घर के विजिटर डायरी में ऐसे बड़े लोगों के नाम मिले हैं जिनका कोयला घोटाले से संबंध था तो इसपर उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए।
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Source : News Nation Bureau