कोल इंडिया (Coal India) के श्रमिक संगठनों की हड़ताल शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रही. ट्रेड यूनियन के एक नेता ने दावा किया कि यह हड़ताल ‘100 प्रतिशत’ शांतिपूर्ण है. हड़ताल का आह्वान कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने के विरोध में किया गया था. कोल इंडिया की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) सहित पांच श्रमिक यूनियनें वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने के फैसले के विरोध में बृहस्पतिवार से हड़ताल पर हैं.
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करीब 80 प्रतिशत श्रमिक हड़ताल में शामिल
पांचों यूनियनों की शनिवार को वर्चुअल बैठक होनी है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. हिंद मजदूर संघ से संबद्ध हिंद खदान मजदूर फेडरेशन के अध्यक्ष नाथूलाल पांडे ने कहा कि तीन दिन की हड़ताल 100 प्रतिशत शांतिपूर्ण रही. यह अपने-आप में एक सफलता है. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को जो कोयला खदानें बंद थीं, शनिवार को भी उनका परिचालन बंद है. इंटक समर्थित इंडियन नेशनल माइनवर्कर्स फेडेरेशन के महासचिव एस. क्यू. जामा ने कहा कि हड़ताल अभी जारी है. उन्होंने कहा कि करीब 80 प्रतिशत श्रमिक हड़ताल में शामिल हैं. हड़ताल से 75 से 80 प्रतिशत कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर प्रबंधन ठेका या बाहरी श्रमिकों से काम शुरू करवाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन पांचों केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से उन्हें ऐसा करने से रोक रहे हैं.
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सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के महासचिव तपन सेन ने कहा कि पिछले दो दिन की तुलना में शनिवार को हड़ताल में अधिक श्रमिक शामिल हुए. सेन ने कहा कि सभी ट्रेड यूनियनें निजी कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक खनन के खिलाफ हैं. हम आने वाले दिनों में भी इसका विरोध जारी रखेंगे.