उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय के लिए क्रमश: ग्यारह और आठ न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति न्यायाधीश के रूप में करने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है. कॉलेजियम ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के लिए दो न्यायिक अधिकारियों और एक अधिवक्ता तथा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के लिए एक न्यायिक अधिकारी और एक अधिवक्ता की पदोन्नति न्यायाधीश के रूप में करने के प्रस्तावों को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के नेतृत्व वाली कॉलेजियम ने चार फरवरी 2021 को हुई बैठक में प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान कर दी, जो शुक्रवार को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लिए पदोन्नत किए गए न्यायिक अधिकारियों में मोहम्मद असलम, अनिल कुमार गुप्ता, अनिल कुमार ओझा, साधना रानी (ठाकुर), ओमप्रकाश त्रिपाठी, नवीन श्रीवास्तव, उमेश चंद्र शर्मा, सैयद आफताब हुसैन रिजवी, अजय त्यागी, सैयद वायज मियां और अजय कुमार श्रीवास्तव-प्रथम शामिल हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय में पदोन्नत किए गए न्यायिक अधिकारियों में केसांग डोमा भूटिया, रबींद्रनाथ सामंत, सुगतो मजूमदार, अनन्या बंद्योपाध्याय, राय चट्टोपाध्याय, बिवास पटनायक, शुभेंदु सामंत और आनंद कुमार मुखर्जी शामिल हैं.
वहीं, न्यायिक अधिकारियों-राजेंद्र बादामीकर, खाजी जेबुन्निसा मोहिउद्दीन और अधिवक्ता आदित्य सौंधी को कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है. न्यायिक अधिकारी नरेश कुमार चंद्रवंशी और अधिवक्ता नरेंद्र कुमार व्यास को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है. बोबडे के अतिरिक्त न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के संबंध में निर्णय करने वाली तीन सदस्यीय कॉलेजियम का हिस्सा हैं. गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में कुल 64 जजों के पद खाली थे. अब इन नियुक्तियों के बाद खाली पदों की संख्या 53 रह जाएगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 160 जजों की जगह है. लेकिन पिछले एक साल से वहां सिर्फ 96 ही जज मौजूद थे.
गौरतलब है कि कॉलेजियम सिस्टम का भारत के संविधान में कोई जिक्र नही है. यह सिस्टम 28 अक्टूबर 1998 को 3 जजों के मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के जरिए प्रभाव में आया था. कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों का एक पैनल जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश करता है. कॉलेजियम की सिफारिश (दूसरी बार भेजने पर) मानना सरकार के लिए जरूरी होता है.
Source : News Nation Bureau