केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम प्रणाली पर हमला बोला है।
मंगलवार को पटना में कुशवाहा ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा है।
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा, 'न्यायपालिका के मौजूदा रुख के अनुसार, जज दूसरे जज को नियुक्त नहीं कर करते हैं, वे असल में अपने उत्तराधिकारी चुनते हैं। वे क्यों ऐसा करते हैं? इस तरह उत्तराधिकारी चुनने वाली यह प्रणाली क्यों बनाई गई?'
इसके अलावा उन्होंने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली मेरिट को खत्म कर रहा है।
उन्होंने कहा, 'लोग आरक्षण का विरोध करते हुए कहते हैं कि यह मेरिट को नजरअंदाज करता है लेकिन मेरा मानना है कि कॉलेजियम मेरिट को नजरअंदाज कर रहा है।'
कुशवाहा ने कहा, 'एक चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है, मछुआरे का बच्चा वैज्ञानिक बन सकता है और बाद में राष्ट्रपति, लेकिन क्या एक नौकरानी का बच्चा जज बन सकता है? कॉलेजियम हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा है।'
इससे पहले भी उपेन्द्र कुशवाहा ने जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाए थे।
कुशवाहा ने राष्ट्रीय राजधानी में इस मुद्दे पर 'हल्ला बोल, दरवाजा खोल' कैंपेन लॉन्च किया था और कॉलेजियम प्रणाली में भाई-भतीजावाद के आरोप लगाए थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि जज सिर्फ अपने 'उत्तराधिकारियों' को चुनने के बारे में चिंतित हैं।
बता दें कि साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) बनाने के फैसले को रद्द कर दिया था।
इसके बाद से अब तक सरकार और न्यायपालिका के बीच तकरार जारी है।
क्या है कॉलेजियम प्रणाली
इस व्यवस्था के तहत देश की अदालतों में जजों की नियुक्ति की जाती है। कॉलेजियम 5 जजों का समूह है जिसमें भारत के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 4 सीनियर जज शामिल होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति और तबादलों का फैसला कॉलेजियम करती है। हाईकोर्ट से जजों की पदोन्नति होकर सुप्रीम कोर्ट में लाए जाने का प्रावधान भी कॉलेजियम ही करती है।
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HIGHLIGHTS
- कुशवाहा ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली मेरिट को खत्म कर रहा है
- मंत्री ने कहा कि जज किसी जज को नियुक्त नहीं कर करते हैं बल्कि उत्तराधिकारी चुनते हैं
Source : News Nation Bureau