सौम्या रेप और मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू को समन जारी कर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने और कानूनन कौन सही और कौन गलत है इस बात पर बहस करने की चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार फेसबुक पर लिखे गए किसी पोस्ट को रिव्यू पेटीशन में तब्दील किया है। जस्टिस रंजन गोगई, पीसी पंत औय यूयू ललित की बैंच ने मार्कंडेय काटजू के लिखे ब्लॉग पर संज्ञान लेते हुए उन्हें समन जारी किया है। गौरतलब है कि काटजू ने सौम्या रेप और हत्या के मामले में कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए लिखा था कि यह फैसला एक बड़ी गलती है और दशकों तक जज रहे लोगों से इस तरह के फैसले की उन्हें उम्मीद नहीं थी।
बैंच ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज काटजू का बेहद सम्मान करते हैं इसलिए वो चाहते हैं कि काटजू व्यक्तिगत रूप से कोर्ट आकर खुली बहस करें कि उन्हें ऐसा क्यों लगा कि कोर्ट का फैसला संवैधानिक रूप से गलतियों से भरा था।
जस्टिस काटजू ने कहा बैंच ने सौम्या केस में दोषी गोविंदास्वामी की फांसी की सजा को सबूतों की कमी के आधार पर रद्द कर दिया। फैसले पर काटजू ने अदालत में खुली बहस की जरूरत भी बताई थी।
गौरतलब है कि फरवरी 2011 को केरल में 23 साल की सौम्या के साथ रेप और मर्डर हुआ था जिसमें त्रिशूर की फास्ट ट्र्रैक कोर्ट ने गोविंदास्वामी को मौत की सजा सुनाई थी जिसे केरल हाई कोर्ट ने भी जारी रखा खा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सबूत के अभाव में गोविंदाचार्य को हत्या को दोषी नहीं ठहराया था। पूर्व जस्टिस मार्केंडेय काटजू अपने बयानों को लेकर आए दिन विवादों में घिरे रहते हैं।
Source : News Nation Bureau