लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) ने बुधवार को मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि एनपीआर पर विवादित बयान दिया था. इस पर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वकील राजीव कुमार रंजन ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. वकील ने कहा कि अरुंधति ने लोगों से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के डेटा एकत्र करने के लिए आने वाले सरकारी अधिकारी को गलत जानकारी देने की बात कही थी.
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सुप्रीम कोर्ट के वकील राजीव रंजन ने तिलक मार्ग थाने में अरुधंति राय के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन के दौरान उन्होंने एनपीआर को एनआरसी का हिस्सा बताते हुए कहा था कि जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें गलत जानकारी दीजिए. अपना नाम रंगा बिल्ला बताइए और पता 7 रेस कोर्स रोड बताइए.
अरुंधति रॉय बुधवार को सीएए (CAA) के विरोध में दिल्ली यूनिवर्सिटी में जमा हुए छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने पहुंची थीं. उनके साथ फिल्म अभिनेता जीशान अय्यूब और अर्थशास्त्री अरुण कुमार भी नॉर्थ कैंपस पहुंचे थे. इस दौरान अरुंधति रॉय ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि सरकार एनआरसी और डिटेंशन कैंप के मुद्दे पर लगातार झूठ बोल रही है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस विषय पर देश के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं. जब सरकार के खिलाफ कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र अपनी आवाज उठाते हैं तो इन छात्रों को अर्बन नक्सल कह दिया जाता है.
Supreme Court lawyer Rajeev Kumar Ranjan in Delhi: I have filed a complaint against activist Arundhati Roy for asking people to give wrong information to government officers who come to collect data for National Population Register (NPR) pic.twitter.com/hS0OR6Lj4y
— ANI (@ANI) December 26, 2019
अरुंधति रॉय ने नागरिक जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को लेकर विद्यार्थियों से कहा कि एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है. जब एनपीआर के लिए सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला-कुंगफू कुट्टला बताइए. अपने घर का पता देने के बजाये पीएम के घर का पता लिखवाएं. इस दौरान उन्होंने बेहद तल्ख अंदाज में सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नॉर्थ ईस्ट में जब बाढ़ आती है तो मां अपने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को बचाती है, क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका यहां भी रहना मुश्किल हो जाएगा.
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गौरलतब है कि जेएनयू में 30 साल तक प्रोफेसर रहे अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने छात्र-छात्राओं से कहा कि वे सरकार से शिक्षा और रोजगार को लेकर प्रश्न पूछे. अरुण कुमार ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा चुकी है, विकास दर साढ़े चार प्रतिशत भी नहीं बची और इसी तथ्य को छुपाने के लिए ऐसे कानून लाए जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि केवल संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले छह फीसद लोग सरकार की गिनती में हैं. असंगठित क्षेत्र में रोजगार की भारी किल्लत है. घटते रोजगार से ध्यान बंटाने के लिए सरकार एनआरसी जैसे कानून का सहारा ले रही है, ताकि लोग अर्थव्यवस्था की बात छोड़कर धर्म के नाम पर एक नए विवाद में फंस जाएं.
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