भारत में सोशल मीडिया साइट ट्विटर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहा है. ट्विटर के खिलाफ पॉक्सों अधिनियनम के उल्लंघन के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण के अध्यक्ष ने सोमवार को बताया कि ट्विटर के खिलाफ गलत सूचना देने और पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के उल्लंघन करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई है. उन्होंने आगे बताया कि हमने केंद्र सरकार को लिखा है कि उन्हें तब तक ट्विटर का एक्सेस नहीं देना चाहिए जब तक ये प्लेटफॉर्म उनके लिए सुरक्षित नहीं हो जाता है.
NCPCR प्रमुख ने दावा किया कि चाइल्ड पोर्नोग्रफी और सोशल मीडिया पर बच्चों के हितों से जुड़े अन्य मामलों को लेकर आयोग ने ट्विटर से संपर्क किया था. कानूनगो के मुताबिक, आयोग ने कंपनी से कहा कि ऐसे मामलों की जानकारी उन्हें पुलिस को देनी होगी तो ट्विटर ने जवाब दिया कि यह सब ट्विटर इंक के दायरे में आता है जो कि अमेरिका में स्थित है. कानूनगो ने कहा कि ट्विटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ट्विटर इंक दोनों ने NCPCR की जांच में झूठ बोला. गलत जानकारी दी जो कि आईपीसी की धारा 199 का उल्लंघन है.
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NCPCR ने आईटी मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि 7 दिन के भीतर बच्चों के लिए ट्विटर का एक्सेस बंद किया जाए. यह पाबंदी तब तक रहे जब तक ट्विटर भारत के आईटी नियमों का पालन नहीं करता और बच्चों के लिए उसे सुरक्षित नहीं मान लिया जाता. नए नियमों के अनुसार, बड़ी सोशल मीडिया कंपनीज को चीफ ग्रीवांस ऑफिसर, चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर और चीफ नोडल ऑफिसर की नियुक्ति करनी है जो भारत के ही होने चाहिए.