Congress Chintan Shivir : 2014 और 2019 आम चुनाव में हार और 2021 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस को अस्तित्व बचाने की चिंता सताने लगी है. कांग्रेस अपने राजनीतिक प्रदर्शन के साथ संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए राजस्थान के उदयपुर में तीन दिवलीय चिंतन शिविर का आयोजन किया. तीन दिवसीय चिंतन शिविर में अंतिम दिन कई बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया. चिंतन शिविर के अंतिम दिन यानि रविवार को अजय माकन ने उदयपुर का संकल्प पढ़ा.
संगठन को गतिशील बनाने के लिए 90 से 180 दिनों में संगठन में सभी खाली पदों को भरा जाएगा. तीन नए विभाग का गठन किया जायेगा. पहला,पब्लिक इनसाइट डिपार्टमेंट (Public Insight Department),दूसरा, नेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (National training institute),तीसरा, नेशनल इलेक्शन मैंनेजमेंट डिपार्टमेंट (National Election management department.चिंतन शिविर में निर्णय लिया गया कि 5 वर्षो से अधिक एक व्यक्ति को किसी पद पर नहीं रखा जायेगा. संगठन में 50 फ़ीसदी युवाओं को मौका दिया जायेगा. और 50 फ़ीसदी सीट महिला, sc/St और अल्पसंख्यक समाज के लिए होगा. अब कांग्रेस में एक परिवार एक टिकट का नियम लागू होगा. दूसरे सदस्य को 5 साल के अनुभव के आधार पर टिकट मिलेगा.
‘‘संगठन’’ व कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता ही पार्टी की असली ताकत हैं. संगठनात्मक स्तर पर कांग्रेस की निर्णायक भूमिका निभाने हेतु व्यापक विचार मंथन हुआ. इस मंथन के निष्कर्षों का सारांश यह है कि अगले 90 से 180 दिनों में देशभर में ब्लॉक स्तर, जिला स्तर, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर सभी रिक्त नियुक्तियां संपूर्ण कर जवाबदेही सुनिश्चित कर दी जाए. संगठन को प्रभावी बनाने हेतु ब्लॉक कांग्रेस के साथ-साथ ‘‘मंडल कांग्रेस कमिटियों’’ का भी गठन किया जाए. कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर तीन नए विभागों का गठन किया जाए -
(i) ‘पब्लिक इनसाईट डिपार्टमेंट’, ताकि भिन्न-भिन्न विषयों पर जनता के विचार जानने व नीति निर्धारण हेतु ‘‘तर्कसंगत फीडबैक’’ कांग्रेस नेतृत्व को मिल पाए.
(ii) ‘राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट’ का गठन हो, ताकि पार्टी की नीतियों, विचारधारा, दृष्टि, सरकार की नीतियों व मौजूदा ज्वलंत मुद्दों पर पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं का व्यापक प्रशिक्षण हो पाए. केरल स्थित ‘राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़’ से इस राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की जा सकती है.
(iii) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के स्तर पर ‘‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’’ का गठन किया जाए, ताकि हर चुनाव की तैयारी प्रभावशाली तरीके से हो व अपेक्षित परिणाम निकलें.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव (संगठन) के तहत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रदेश कांग्रेस कमेटी, जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के कार्य का मूल्यांकन भी हो, ताकि बेहतरीन काम करने वाले पदाधिकारियों को आगे बढ़ने का मौका मिले और निष्क्रिय पदाधिकारियों की छंटनी हो पाए.
पार्टी में लंबे समय तक एक ही व्यक्ति द्वारा पद पर बने रहने के बारे कई विचार सामने आए. संगठन के हित में यह है कि पांच वर्षों से अधिक कोई भी व्यक्ति एक पद पर न रहे, ताकि नए लोगों को मौका मिल सके. यही नहीं, मौजूदा भारत के आयु वर्ग व बदलते स्वरूप के अनुसार यह आवश्यक है कि कांग्रेस कार्यसमिति, राष्ट्रीय पदाधिकारियों, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल पदाधिकारियों में 50 प्रतिशत पदाधिकारियों की आयु 50 वर्ष से कम हो. राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल संगठनों की इकाईयों में सामाजिक वास्तविकता का प्रतिबिंब भी हो, यानि दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों व महिलाओं को न्यायसंगत प्रतिनिधित्व मिले.
संगठन में ‘‘एक व्यक्ति, एक पद’’ का सिद्धांत लागू हो. इसी प्रकार, ‘‘एक परिवार, एक टिकट’’ का नियम भी लागू हो. यदि किसी के परिवार में दूसरा सदस्य राजनीतिक तौर से सक्रिय है, तो पांच साल के संगठनात्मक अनुभव के बाद ही वह व्यक्ति कांग्रेस टिकट के लिए पात्र माना जाए. उत्तर-पूर्व के प्रांतों के लिए गठित की गई ‘‘नॉर्थ ईस्ट को-ऑर्डिनेशन कमेटी’’ के अध्यक्ष को कांग्रेस कार्य समिति का स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया जाए. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों में से कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा एक समूह का गठन हो, जो समय-समय पर जरूरी व महत्वपूर्ण राजनैतिक विषयों पर निर्णय लेने हेतु कांग्रेस अध्यक्ष को सुझाव दे व उपरोक्त निर्णयों के क्रियान्वयन में मदद करे.
हर प्रांत के स्तर पर भिन्न-भिन्न विषयों पर चर्चा करने व निर्णय हेतु एक ‘‘पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी’’ का गठन किया जाए. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी व प्रदेश कांग्रेस कमिटियों का सत्र साल में एक बार अवश्य आयोजित हो. इसी प्रकार, जिला, ब्लॉक व मंडल कमिटियों की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाए. आज़ादी के 75वर्ष पूरे होने पर हर जिला स्तर पर 9 अगस्त से 75 किलोमीटर लंबी पदयात्रा का आयोजन हो, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम के लक्ष्यों व त्याग तथा बलिदान की भावना प्रदर्शित हो.
बदलते परिवेश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया व संचार विभाग के अधिकारक्षेत्र, कार्यक्षेत्र व ढांचे में बदलाव कर व्यापक विस्तार किया जाए तथा मीडिया, सोशल मीडिया, डाटा, रिसर्च, विचार विभाग आदि को संचार विभाग से जोड़ विषय विशेषज्ञों की मदद से और प्रभावी बनाया जाए. प्रदेशों के सभी मीडिया, सोशल मीडिया, रिसर्च आदि विभागों का अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अंतर्गत रख सीधा जुड़ाव बने, ताकि पार्टी का संदेश प्रतिदिन देश के हर कोने-कोने में फैल सके.
‘‘राजनैतिक समूह’’ ने मौजूदा विषम परिस्थितियों में ‘‘भारतीयता की भावना’’ व ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ के सिद्धांतों को हर कांग्रेसजन द्वारा आत्मसात करने पर बल दिया. ‘‘भारतीय राष्ट्रवाद’’ ही कांग्रेस का मूल चरित्र है और इसके विपरीत, भाजपा का छद्म राष्ट्रवाद सत्ता की भूख पर केंद्रित है. हर कांग्रेसजन का कर्तव्य है कि वह इस अंतर को जन-जन तक पहुंचाए. आज सत्तासीन दल द्वारा भारतीय संविधान, उसमें निहित सिद्धांतों व अधिकारों तथा बाबा साहेब अंबेडकर की सोच पर षडयंत्रकारी हमला बोला गया है. संवैधानिक अधिकारों पर आक्रमण का पहला आघात देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं व गरीबों को पहुंचा है.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संकल्प है कि सभी कांग्रेसजन गांधीवादी मूल्यों व नेहरू जी के आज़ाद भारत के सिद्धांत की रक्षा हेतु हर हालत में संघर्षरत रहेंगे. साथ-साथ, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाली सभी संवैधानिक संस्थाओं को भी सत्ता के हित साधने के लिए कमजोर व निष्प्रभावी बना दिया गया है. इन विघटनकारी ताकतों से लोहा लेने हेतु कांग्रेस संगठन के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सभी सामाजिक, सांस्कृतिक, गैर सरकारी संगठनों, ट्रेड यूनियन, थिंक टैंक व सिविल सोसायटी समूहों से व्यापक संपर्क और संवाद स्थापित करेगी. जहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अपने संगठन की शक्ति व बल बूते के आधार पर हर जगह जमीनी पकड़ पैदा करनी है, वहीं राष्ट्रीयता की भावना व प्रजातंत्र की रक्षा हेतु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सभी समान विचारधारा के दलों से संवाद व संपर्क स्थापित करने को कटिबद्ध है तथा राजनैतिक परिस्थितियों के अनुरूप जरूरी गठबंधन करने के रास्ते खुले रखेगी.
भारत की संप्रभुता व भूभागीय अखंडता पर चीन द्वारा अतिक्रमण को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. लद्दाख में भारतीय सैनिकों की शहादत को हम सलाम करते हैं. इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित न होना व प्रधानमंत्री की रहस्यमयी चुप्पी देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है. कई दौर की वार्ता के बावजूद चीन द्वारा भारत की सरजमीं से अनधिकृत कब्जा न छोड़ना अपने आप में भारत की अखंडता को चुनौती है. भाजपा द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा से किया जा रहा यह खिलवाड़ अस्वीकार्य है.
उत्तर-पूर्व के शांतिप्रिय प्रांतों में अलगाववाद व उग्रवाद का विस्तार अति चिंताजनक है. राजनैतिक स्वार्थों हेतु असम-मिज़ोरम-मेघालय सीमा विवाद, नागालैंड - मणिपुर राष्ट्रीय राजमार्ग का लंबे समय तक बंद रहना, रहस्यमयी नागा शांति समझौते का 2019 से क्रियान्वयन न हो पाना व पूरे उत्तर-पूर्व में सत्ता प्राप्ति हेतु सामाजिक व राजनैतिक अस्थिरता का माहौल पैदा कर देना भाजपा की नाकामियों को दर्शाता है. जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति बदल पूर्ण राज्य का दर्जा छीन लेना, प्रांत को केंद्रीय शासित दर्जे में तब्दील कर देना, प्रांतीय विधानसभा की बहाली न कर चुनाव न करवाना, जम्मू-कश्मीर के लोगों से वोट का अधिकार छीन लेना, जम्मू-कश्मीर में त्रुटिपूर्ण डिलिमिटेशन लागू करना, अस्थिरता व असुरक्षा के माहौल के चलते उग्रवादियों द्वारा सुरक्षा बलों व कश्मीरी पंडितों सहित हजारों मासूम नागरिकों को निशाना बनाकर उनकी हत्या करना अपने आप में केंद्र सरकार की गंभीर नाकामी का परिचायक है.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कड़े शब्दों में भाजपा-आरएसएस द्वारा देश में सांप्रदायिक विभाजन फैलाने के एजेंडा की निंदा करती है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस धर्म, भाषा, जाति, रंग व क्षेत्रवाद के आधार पर अल्पसंख्यकों, गरीबों व वंचितों को निशाना बना वोट बटोरने की राजनीति का सिरे से खंडन करती है.
केंद्र सरकार द्वारा देश के संघीय ढांचे पर हमला तो और भी खतरनाक है. बार-बार प्रांतों के अधिकार क्षेत्र पर गैरकानूनी व अनैतिक अतिक्रमण करना भाजपाई सत्ता का स्वभाव बन गया है. यहां तक कि राज्यपाल के पद का दुरुपयोग अब भाजपाई सत्ता सिद्धी के लिए खुलेआम किया जाता है व संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. राष्ट्रहित में इन सब अनैतिक कृत्यों का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कड़ा विरोध करेगी.
‘‘आर्थिक समूह’’ ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद भारत के लिए ‘‘नव संकल्प आर्थिक नीति’’ बनाने व लागू करने की कवायद की. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 1990के दशक में किए अर्थव्यवस्था के उदारीकरण से हुए अभूतपूर्व फायदे का संज्ञान लेते हुए एक ऐसी उदारीकरण केंद्रित अर्थव्यवस्था के गठन को प्रोत्साहित करने की प्रस्तावना की गई, जिसमें निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका तो रेखांकित की जाए, पर साथ साथ सशक्त व व्यवहारिक सार्वजनिक उपक्रमों की संरचनात्मक भूमिका भी बनी रहे.
उदारीकरण के 30 वर्षों के बाद तथा घरेलू व वैश्विक परिस्थितियों का संज्ञान लेते हुए स्वाभाविक तौर से आर्थिक नीति में बदलाव की आवश्यकता जरूरी है. इस ‘‘नव संकल्प आर्थिक नीति’’ का केंद्र बिंदु रोजगार सृजन हो. आज के भारत में ‘‘जॉबलेस ग्रोथ’’ को कोई स्थान नहीं हो सकता. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मोदी सरकार की रोज़गार विहीन आर्थिक नीतियों को सिरे से खारिज करती है. हमारा मानना है कि जो आर्थिक नीति नए रोजगार पैदा करने पर केंद्रित होगी, वही देश में उच्च विकास दर ला सकती है. नव संकल्प आर्थिक नीति के लिए अनिवार्य है कि वह देश में फैली अत्यधिक गरीबी, भुखमरी, चिंताजनक कुपोषण (खासतौर से महिलाओं व बच्चों में) व भीषणतम आर्थिक असमानता का निराकरण कर सके.
भाजपा सरकार द्वारा 70 साल में बनाई गई सरकारी संपत्तियों का अंधाधुंध निजीकरण अपनेआप में खतरनाक है. यह और गंभीर हो जाता है, जब भाजपा सरकार पब्लिक सेक्टर कंपनियों को बदनीयति से औने-पौने दाम पर अपने चंद और चहेते पूंजीपति मित्रों को बेच रही है. न केवल दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों का आरक्षण खत्म हो रहा है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था पर कुछ लोगों का एकाधिकार स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस अंधाधुंध निजीकरण का घोर विरोध करेगी.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना है कि जनकल्याण ही आर्थिक नीति का सही आधार हो सकता है. भारत जैसे तरक्कीशील देश में जनकल्याण नीतियों से आम जनमानस के लिए रोजगार सृजन व आय के साधन बढ़ाना अनिवार्य व स्वाभाविक है.
नव संकल्प आर्थिक नीति के तहत केंद्र व प्रांतीय सरकारों के बिगड़ते हुए वित्तीय संबंधों का संज्ञान लेने की आवश्यकता है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुताबिक समय आ गया है, जब केंद्र व प्रांतों के बीच वित्तीय संबंधों की पुनर्समीक्षा हो और प्रांतों के अधिकारों की संरक्षण व सुरक्षा भी हो.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विश्वास है कि हमें भारत की अर्थव्यवस्था व वर्कफोर्स को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करना है. भविष्य की चुनौतियों में बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था भी है तथा बदलती आधुनिक तकनीक, जैसे कि रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस, मशीन लर्निंग, के अनुरूप देश की वर्कफोर्स को ढालना भी है. नई अर्थव्यवस्था में देश व दुनिया में हो रहे जलवायु परिवर्तन का संज्ञान लेना भी अनिवार्य है. नव संकल्प आर्थिक नीति एक निष्पक्ष, न्यायपूर्ण व समानता के सिद्धांत पर आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करेगी, जिसमें सभी वर्गों को मौके व आर्थिक प्रगति के अवसर मिल पाएंगे.
‘‘किसान व खेत मजदूर समूह’’ ने देश में भाजपा सरकार निर्मित मौजूदा कृषि संकट का गहन संज्ञान लेते हुए कई महत्वपूर्ण विषयों और नीतियों पर पुनर्विचार की आवश्यकता पर बल दिया. कर्ज के दलदल में फंसे देश के अन्नदाता पर 31 मार्च, 2021 तक ₹16.80 लाख करोड़ का कर्ज चढ़ गया है. केंद्र सरकार ने 8 वर्षों में किसान की कर्ज मुक्ति हेतु पूर्णतया उदासीनता व बेरुखी दिखाई है. वक्त की मांग है कि ‘‘राष्ट्रीय किसान ऋण राहत आयोग’’ का गठन कर कर्जमाफी से कर्जमुक्ति तक का रास्ता तय किया जाए. कर्ज न लौटा पाने की स्थिति में किसान के खिलाफ अपराधिक कार्यवाही तथा किसान की खेती की जमीन की कुर्की पर पाबंदी लगाई जाए तथा खेतिहर किसानों को मुफ्त बिजली उपलब्ध हो. किसान की एक और सबसे बड़ी समस्या फसल की कीमत न मिलना है. आजाद भारत के सबसे बड़े किसान आंदोलन के बाद मोदी सरकार द्वारा एमएसपी की गारंटी पर विचार करने हेतु कमेटी बनाने का वादा तो किया, पर हुआ कुछ नहीं. किसान संगठनों की न्यायोचित मांग है कि केंद्र सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी दे तथा किसान की एमएसपी का निर्धारण C2+50% के आधार पर हो, यानि एमएसपी निर्धारण करते समय किसान को ‘Cost of Capital’ व ‘जमीन का किराया’ जोड़कर 50 प्रतिशत अधिक दिया जाए.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी असलियत में निजी बीमा कंपनी मुनाफा योजना बन गई है. निजी बीमा कंपनियों ने पिछले 6 वर्षों में ₹34,304 करोड़ मुनाफा कमाया, पर किसान को कोई लाभ नहीं मिला. वक्त की मांग है कि खेती के पूरे क्षेत्र का बीमा किया जाए व ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के सिद्धांत पर बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की बीमा कंपनियां करें. किसान कल्याण के लिए यह आवश्यक है कि कांग्रेस के 2019 के घोषणापत्र के अनुरूप एक अलग ‘‘कृषि बजट’’ संसद में प्रस्तुत हो, जिसमें किसान कल्याण की सभी परियोजनाओं का लेखा-जोखा दिया जाए. मौसम की मार, प्राकृतिक आपदा, बाजारी मूल्यों में उतार-चढ़ाव आदि को देखते हुए किसान को राहत देने हेतु ‘‘राष्ट्रीय किसान कल्याण कोष’ बनाया जाए. किसान के ट्रैक्टर व खेती के अन्य उपकरण जीएसटी की परिधि से मुक्त हों.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साल 2019 के घोषणापत्र में अंकित ‘न्याय के सिद्धांत’ को हर किसान व खेत मजदूर परिवार पर लागू कर हर माह प्रति परिवार को ₹6,000हस्तांतरण हो. छोटे व सीमांत किसानों व भूमिहीन गरीबों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए यही एक उपाय है. वक्त की यह भी मांग है कि कृषि उपज मंडियों की संख्या मौजूदा 7,600 से बढ़ाकर 42,000 की जाए, ताकि हर 10 किलोमीटर पर एक कृषि उपज मंडी की स्थापना हो. ग्रामीण रोजगार और गरीबी उन्मूलन के लिए मनरेगा ही एकमात्र उपाय है. दुर्भाग्यवश केंद्रीय भाजपा सरकार ने कोरोना की विषम परिस्थितियों के बावजूद मनरेगा के बजट में कटौती कर डाली है. मनरेगा में हर व्यक्ति को जहां 100 दिन का काम देना अनिवार्य हो, वहां यह जरूरी है कि मनरेगा मजदूरी को न्यूनतम मजदूरी के बराबर लाकर सालाना औसत आमदनी को ₹18,000 किया जाए.