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कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल चुनावों से हटाया ध्यान, अब पूरा फोकस असम पर

अब तक किसी भी हाईप्रोफाइल कांग्रेस नेता ने पश्चिम बंगाल का दौरा नहीं किया है. जबकि राहुल गांधी ने असम के अलावा तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में चुनाव प्रचार किया है लेकिन पश्चिम बंगाल से अब तक दूरी बनाए रखी है.

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Ravindra Singh
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राहुल गांधी( Photo Credit : आईएएनएस)

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कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी हों, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हों या कांग्रेस के अन्य शीर्ष नेता हों, इन सभी में एक बात कॉमन है. इन सभी ने आगामी विधानसभा चुनावों में कम से कम असम में वापसी करने के लिए भारी उम्मीदें पाल रखी हैं. असम में 27 मार्च, 1 अप्रैल और 6 अप्रैल को 3 चरणों में चुनाव होने हैं. असम हमेशा से एक संवेदनशील राज्य रहा है. यहां हर चुनाव में 2 मुख्य दलों के बीच कड़ी टक्कर होती है. इन चुनावों में कांग्रेस ने अपना पूरा ध्यान लगा रखा है. इस कारण वह पश्चिम बंगाल में भी ज्यादा कोशिशें नहीं कर रही है. पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच 8 चरणों में चुनाव होने हैं और इन दोनों ही राज्यों के नतीजे अन्य राज्यों के नतीजों के साथ 2 मई को घोषित होंगे.

यही वजह है कि अब तक किसी भी हाईप्रोफाइल कांग्रेस नेता ने पश्चिम बंगाल का दौरा नहीं किया है. जबकि राहुल गांधी ने असम के अलावा तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में चुनाव प्रचार किया है लेकिन पश्चिम बंगाल से अब तक दूरी बनाए रखी है. शनिवार को उन्होंने असम में अपने चुनाव प्रचार का पहला चरण पूरा किया और रविवार से प्रियंका गांधी मैदान संभालने जा रही हैं. वे यहां 6 जनसभाओं को संबोधित करेंगी. वैसे भी वे इस महीने की शुरूआत में भी इस चुनावी राज्य का दौरा कर चुकी थीं. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी एक बार फिर असम का रुख करते हुए यहां दूसरे चरण का चुनाव प्रचार भी कर सकते हैं.

इस बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले 2 हफ्तों से राज्य में डेरा डाले हुए हैं, वे राज्य में कांग्रेस के विभिन्न मसलों को खुद देख रहे हैं. इस राज्य में भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस 5 गारंटियां दे रही है, जिसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू नहीं करना शामिल है. शनिवार को पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि यदि अगले आम चुनाव में केंद्र में कांग्रेस को सत्ता मिलती है तो उनकी सरकार सीएए को रद्द कर देगी.

राहुल गांधी ने कहा, "20 साल पहले असम हिंसा की चपेट में था लेकिन जैसे ही राज्य में कांग्रेस की सरकार आई, उसने राज्य में शांति, सद्भाव और विकास की राह सुनिश्चित किया. भाजपा का नाम है तोड़ना और हमारा काम है लोगों को जोड़ना." कांग्रेस ने असम में सीएए लागू न करने के अलावा, 5 साल में युवाओं को 5 लाख सरकारी नौकरियां देने, हर घर में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने, चाय बगानों के श्रमिकों को 365 रुपये दिहाड़ी और गृहणियों को 2,000 रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया है.

असम में कांग्रेस 15 साल (2001-2016) तक सत्ता में रही, लेकिन इसके बाद 2016 में भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन सत्ता में आया. कांग्रेस ने तीन वाम दलों - सीपीआई (एम), सीपीआई और सीपीआई (एमएल) और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के साथ मिलकर एक महागठबंधन या महाजोत बनाया. इसमें आंचलिक गण मोर्चा, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और समुदाय-आधारित 2 दल - जिमोचयन (देवरी) पीपुल्स पार्टी और आदिवासी नेशनल पार्टी शामिल हैं. 126 सदस्यीय असम विधानसभा में 27 मार्च (47 सीटों), 1 अप्रैल (39 सीटों) और 6 अप्रैल (40 सीटों) को 3 चरणों में मतदान होने हैं.

HIGHLIGHTS

  • कांग्रेस ने हटाया पश्चिम बंगाल चुनावों से ध्यान
  • कांग्रेस का फोकस अब असम विधानसभा चुनाव पर
  • प. बंगाल में कांग्रेस का कोई हाई प्रोफाइल नेता नहीं गया
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