ऐसा लगता है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने भी अब विद्रोह की राह चुन ली है. पिछले दो लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त पर यूपीए पर ही सवालिया निशान खड़ा करने के बाद अब उन्होंने बीजेपी (BJP) का उदाहरण देते हुए एक बार फिर कांग्रेस (Congress) के नेताओं पर निशाना साधा है. लगातार दो दिनों से पार्टी आलाकमान के खिलाफ तीखे तेवर अपनाने के बाद अब यह बात भी उठने लगी है कि क्या कहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बाद मनीष तिवारी ने तो अपने रास्ते अलग करने की नहीं ठान ली है.
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एका के बजाय अलाप रहे अपना-अपना राग
शनिवार को किए गए एक ट्वीट में उन्होंने लिखा कि बीजेपी भी दस साल यानी 2004 से 2014 तक सत्ता से दूर रही. हालांकि एक बार भी किसी बीजेपी नेता ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कामों, नीतियों या फैसलों पर ठीकरा फोड़ना तो दूर सवालिया निशान तक नहीं लगाया. यह अलग बात है दुर्भाग्य से कांग्रेस में कुछ ऐसे अज्ञानी मौजूद हैं, जो बीजेपी या एनडीए से लड़ने के बजाय डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर ही तंज कसने से बाज नहीं आते. जिस समय एकता की जरूरत है, सभी अलग-अलग ढपली पर अलग-अलग राग अलाप रहे हैं.
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मनीष तिवारी ने दागे यूपीए पर सवाल
इसके पहले मनीष तिवारी ने शुक्रवार को भी यूपीए के सदस्यों पर तीखा हमला बोला था. उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट करके चार सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि क्या 2014 में कांग्रेस की हार के लिए यूपीए जिम्मेदार है, यह उचित सवाल है और इसका जवाब मिलना चाहिए? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सभी समान रूप से जिम्मेदार हैं, तो यूपीए को अलग क्यों रखा जा रहा है? 2019 की हार पर भी मंथन होना चाहिए. सरकार से बाहर हुए 6 साल हो गए, लेकिन यूपीए पर कोई सवाल नहीं उठाए गए. यूपीए पर भी सवाल उठना चाहिए.
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कपिल सिब्बल ने दी थी आत्मनिरीक्षण की सलाह
दरअसल गुरुवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा के सांसदों की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में शामिल एक नेता ने कहा कि राहुल गांधी के पूरी ताकत झोंकने के बाद भी यह हो रहा है. पूर्व मंत्री चिदंबरम ने कहा कि पार्टी का जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन कमजोर है. कपिल सिब्बल ने शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक आत्मनिरीक्षण की सलाह दे डाली. उन्होंने कहा कि हमें पता करना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
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सिब्बल पर युवा नेता ने बोला था तीखा हमला
सिब्बल के इस बयान पर राज्यसभा सांसद और राहुल के करीबी राजीव सातव ने कड़ा प्रतिरोध किया. उनका कहना था कि कोई भी आत्मनिरीक्षण तब से होना चाहिए जब हम सत्ता में थे. उन्होंने कहा कि 2009 से 2014 तक का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. और तो और, उन्होंने यूपीए सरकार में मंत्री रहे सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके प्रदर्शन का भी आकलन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर यूपीए-2 में समय पर आत्मनिरीक्षण हो जाता तो 2014 में कांग्रेस को 44 सीटें नहीं मिलती.