कांग्रेस ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) द्वारा जम्मू एवं कश्मीर में 'भारतीय बर्बरता और मानवाधिकारों के उल्लंघन' की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किए जाने को लेकर रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस ने भारत द्वारा अबू धाबी में हुए सम्मेलन में शामिल होकर आईओसी को 'वैधता' देने पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की और मोदी सरकार पर 'भारत के राष्ट्रीय हित का परित्याग' करने का आरोप लगाया.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सम्मेलन में शामिल होने के एक दिन बाद, शनिवार को यह प्रस्ताव पारित हुआ था.
ओआईसी ने आतंकवादी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने को 'न्यायेतर हत्या' करार देते हुए '2016 से कश्मीर में भारतीय बर्बरता बढ़ने' की निंदा की 'जिसके कारण 220 से अधिक लोगों की मौत हो गई'. संगठन ने साथ ही 'पेलेट गन के इस्तेमाल की अमानवीय प्रथा' की भी निंदा की.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां कहा, 'मोदी सरकार ने ओआईसी में आमंत्रण को बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत माना था, लेकिन यह भारत के लिए बहुत बड़ी शर्मिंदगी का कारण बन गया. ओआईसी प्रस्ताव में केवल कश्मीर में भारतीय आतंकवाद की ही निंदा नहीं की गई, बल्कि इसमें कहा गया कि भारत ने कश्मीर पर कब्जा कर रखा है.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'इतने दशकों से भारत जान-बूझकर ओआईसी में शामिल होने से बचता रहा. लेकिन मोदी सरकार ने इसमें शामिल होकर न केवल इसे वैधता दे दी, बल्कि बदले में भारत पर एक आतंकवादी देश और कश्मीर पर कब्जा करने वाले देश का ठप्पा भी लगवा लिया.'
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तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार ने हालांकि इसके बाद कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है और इसके मामले आंतरिक हैं, लेकिन यह केवल चेहरा बचाने की कवायद है.
तिवारी ने कहा, 'हम राष्ट्रहित के नितांत परित्याग की सबसे कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और मोदी और स्वराज (सुषमा स्वराज) से पूछते हैं कि क्या यही बड़ी कूटनीतिक जीत है, जिसका वे बखान कर रहे थे.'
Source : IANS