कांग्रेस ने सोमवार को सरकार पर अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अधिनियम के कड़े प्रावधान को बहाल करने में बहुत देरी करने आरोप लगाया और कहा कि सरकार ने ऐसा चुनाव हारने के डर से किया है। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2018 पर बहस की शुरुआत करते हुए कहा, 'इस विधेयक को लाने में बहुत देरी की गई। हम विधेयक का स्वागत करते हैं और समर्थन करते हैं।'
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मार्च में दिए गए आदेश ने वास्तविक अधिनियम को कमजोर करने का प्रयास किया, जिसे पूरे देश के दलितों ने 'अन्याय' माना।
कांग्रेस नेता ने कहा, 'पूरे देश में इसको लेकर प्रदर्शन हुए। लोग जेल गए और कई संपत्तियों को नुकसान पहुंचा।'
उन्होंने कहा कि वास्तविक कानून के प्रावधानों का बहाल करने का काम पहले अध्यादेश लाकर किया जा सकता था।
खड़गे ने कहा, 'मार्च में इस वर्ष सर्वोच्च न्यायालय ने इस अधिनियम को कमजोर करने का आदेश दिया था। बीते छह माह में सरकार द्वारा छह अध्यादेश लाए गए। सरकार कार्पोरेट कंपनियों की मदद के लिए पहले अध्यादेश लाई, लेकिन देश के 24 प्रतिशत आबादी के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए अध्यादेश नहीं लाई।'
उन्होंने कहा, 'सरकार ने सोचा कि अगर हम यह विधेयक अब नहीं लाएंगे तो हमें चुनाव में इसके विरोध का सामना करना पड़ेगा।'
खड़गे ने कहा कि यहां तक कि राजग के दलित सांसदों ने भी सरकार पर दबाव बनाया।
और पढ़ें: आखिरकार राज्य सभा में पास हुआ राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का संशोधित बिल, जानें कैसी रही बहस
उन्होंने कहा, 'आप पहले यह विधेयक लेकर क्यों नहीं आए? कांग्रेस ने 27 मार्च, 2018 को संसद स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में प्रदर्शन किया था। अगर इसका जवाब चार माह पहले दे दिया गया होता, तो दलितों के साथ यह अन्याय नहीं होता।'
खड़गे ने कहा कि दो-तीन अप्रैल को प्रदर्शन करने वाले दलितों के खिलाफ दर्ज मामले को वापल लेना चाहिए और जो प्रदर्शनकारी जेल में बंद हैं, उन्हें तत्काल रिहा किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि एससी-एसटी कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।
खड़गे ने कहा, 'प्रधानमंत्री कबीर दास, डॉ. बी.आर. आंबेडकर के बारे में बोलते हैं। उन्होंने कर्नाटक में बासवन्ना को याद किया, लेकिन अंदर से वह मनु में विश्वास करते हैं।'
आंबेडकर के बारे में खड़गे ने कहा, 'मैं चाहता हूं कि सभी लोग पहले भारतीय हों, अंत में भारतीय हों, भारतीय को छोड़ और कुछ न हों। और यह कांग्रेस थी, जिसने आंबेडकर और उनके सिद्धांतों का समर्थन किया था।'
उन्होंने दक्षिणपंथी ताकतों पर निशाना साधते हुए कहा, 'एक तरफ आप हिंदुओं को संगठित करना चाहते हो, लेकिन दूसरी तरफ आप दलितों के साथ अत्याचार कर रहे हो। एक व्यक्ति मूंछ नहीं रख सकता, घोड़े पर नहीं चढ़ सकता। उन्हें कोड़े से मारा जाता है। उन्हें सार्वजनिक कुंओं का इस्तेमाल करने नहीं दिया जाता।'
उन्होंने कहा, 'आप इसे तबतक नहीं समझोगे, जबतक आप मेरी जाति में जन्म नहीं लोगे।'
एससी/एसटी समुदाय पर बढ़ रहे अत्याचार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, 'नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के अनुसार, दलितों के विरुद्ध हर 15 मिनट में अत्याचार की घटनाएं होती हैं। 11 दलित हर हफ्ते मारे जाते हैं और प्रतिदिन छह दलित महिलाओं के साथ यौन अत्याचार की घटनाएं होती हैं।'
और पढ़ें: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग क्या है, कैसे करेगा काम, जानें सब कुछ
Source : IANS