ऐसा लगता है कि कांग्रेस आलाकमान ने जिद पकड़ ली है कि उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार को बदनाम करने के लिए किसी भी हद तक गिरना है. इस बार उसने कोरोना लॉकडाउन में फंसे श्रमिकों की घर वापसी के लिए उनसे विशेष ट्रेन का किराया वसूलने का दुष्प्रचार किया है. इस मसले पर न सिर्फ अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, बल्कि पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी दलों ने मोदी सरकार आड़े हाथों लिया था. यह अलग बात है कि रेल मंत्रालय समेत बीजेपी प्रवक्ताओं ने साफ किया कि श्रमिक रेलगाड़ियों से घर वापसी कर रहे मजदूरों से किराये का एक रुपया भी नहीं लिया गया है.
📣Railways is running special trains requested by State Governments, only to facilitate travel for few stranded people.
— Piyush Goyal Office (@PiyushGoyalOffc) May 2, 2020
No other person should come to the station as all other passenger trains are suspended.
No tickets are being sold at any station.
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रेल मंत्रालय ने जारी किया स्पष्टीकरण
इस मसले पर विवाद बढ़ता देख रेल मंत्रालय ने बकायदा एक स्पष्टीकरण जारी किया. इसके तहत रेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक प्रवासी कामगारों को घर पहुंचाने के लिए लोगों को सीधे टिकट नहीं बेचे जा रहे हैं. इसकी वसूली राज्य सरकार से की जाती है और मानक किराया ही लिया जाता है, जो कि खर्च का केवल 15 प्रतिशत है. राज्यों की सूची के मुताबिक ही लोगों को यात्रा की अनुमति दी जाती है. गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार 'द हिन्दू' ने इस मसले पर भी लोगों के बीच भ्रम का माहौल बनाते हुए फेक न्यूज़ शेयर की, जिसके बाद इस सिलसिले की शुरुआत हुई. इसके मुताबिक मजदूरों को अपने गृह राज्य जाने के लिए 50 रुपए अतिरिक्त किराया देना पड़ा. सोशल मीडिया पर रोहिणी सिंह जैसे पत्रकारों और सीताराम येचुरी जैसे नेताओं ने धड़ल्ले से इस ख़बर को शेयर कर के मोदी सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया. इसके उलट हकीकत यही है कि इन स्पेशल ट्रेनों के लिए आम लोगों द्वारा टिकट ख़रीदने का कोई प्रावधान ही नहीं है.
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सोनिया गांधी ने किया तीखा हमला
इसके पहले मजदूरों को लेकर जाने वाली ट्रेनों का किराया वसूलने पर कांग्रेस समेत समग्र विपक्ष ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था. सोनिया गांधी ने कहा था, दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं. श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?
HIGHLIGHTS
- मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए फिर से दुष्प्रचार पर उतरी कांग्रेस ब्रिगेड.
- श्रमिक स्पेशल से घर वापसी कर रहे मजदूरों से किराया लेने का लगाया आरोप.
- हकीकत यह है कि रेलवे स्टेशनों पर नहीं बिके एक भी टिकट.