Advertisment

वो पांच कारण जिसने राहुल की मेहनत पर फेर दिया पानी, फिसल गई सत्ता की चाबी

कांग्रेस ने पिछले 22 सालों में इस बार गुजरात में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को कड़ी टक्कर दी लेकिन एंटी इनकमबेंसी के बाद भी सत्ता में आने से चूक गई।

author-image
kunal kaushal
एडिट
New Update
वो पांच कारण जिसने राहुल की मेहनत पर फेर दिया पानी, फिसल गई सत्ता की चाबी

राहुल गांधी (फाइल फोटो)

Advertisment

22 सालों से गुजरात की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने 6 बार भी वहां जीत दर्ज कर ली। कांग्रेस ने पिछले 22 सालों में इस बार गुजरात में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को कड़ी टक्कर दी लेकिन एंटी इनकमबेंसी के बाद भी सत्ता में आने से चूक गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात छोड़ने के बाद वहां तेजी से बदलाव हुए और 3 सालों में दो सीएम बदले गए। पाटीदारों को आरक्षण की मांग लेकर हार्दिक सड़कों पर उतरे और उन्हें जबरदस्त जनसमर्थन भी मिला। दलितों के साथ मारपीट की खबरे आईं। जीएसटी को लेकर कारोबारियों में असंतोष दिखा लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद भी कांग्रेस इसे भुना नहीं पाई और चुनाव हार गई।

हालांकि पहले के मुकाबले कांग्रेस की सीटों में जरूर बढ़ोतरी हुई। आज हम आपको वो पांच कारण बताएंगे जिसकी वजह से सबकुछ कांग्रेस के पक्ष में होते हुए भी जनता ने कांग्रेस के हाथ में सत्ता की चाभी नहीं सौंपी।

कांग्रेस का कमजोर संगठन

बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस का गुजरात में संगठन बेहद कमजोर है। बीजेपी को जहां कार्यकर्ता आधारित पार्टी मानी जाती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता वहां दिन रात बीजेपी के लिए काम करते हैं लेकिन कांग्रेस के पास ऐसा कोई ढांचा नहीं है।

कांग्रेस के पास वहां बूथ स्तर पर काम करने के लिए लोग नहीं है और ना ही उनका कोई स्थानीय नेता बहुत लोकप्रिय है। ऐसे लोगों की सख्त कमी है जो संगठन के लिए काम करे और गांव देहात से लेकर शहरों तक में लोगों के बीच कांग्रेस की साख बढाए।

नेताओं के बयानों ने कांग्रेस को हराया

गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पीएम मोदी पर निजी हमला करने से बचते रहे। लेकिन पहले चरण के मतदान से ठीक तीन दिन पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को नीच कह डाला।

अय्यर के इस बयान को पीएम मोदी ने गुजरात अस्मिता से जोड़ दिया जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हुआ। डैमेज कंट्रोल करने के लिए राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी से बाहर भी कर दिया लेकिन पीएम मोदी तबतक इस चुनावी मुद्दा बना चुके थे।

दूसरे तरफ अयोध्या राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने 2019 लोकसभा चुनाव तक इस मामले को टालने की अपील कर दी। पीएम मोदी ने इस चुनावी मुद्दा बना दिया और कहां कि कांग्रेस को राम मंदिर पर अपनी नीति साफ करनी चाहिए।

बीजेपी ने इस राज्य में हिंदुत्व से जोड़ दिया और कहा कांग्रेस नहीं चाहती की राम मंदिर बने। कांग्रेस की सफाई के बाद भी यह बीजेपी के लिए कारगर रहा और कांग्रेस को सिब्बल के इस बयान से घाटा उठाना पड़ा।

मोदी की लोकप्रियता का काट नहीं ढूंढ पाई कांग्रेस

साल 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही तमाम सर्वे बताते हैं कि अभी भी देश में नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय नेता हैं। मोदी की लोकप्रियता हर राज्य के चुनाव में बीजेपी के लिए तुरुप का इक्का साबित होता रहा है।

जहां भी बीजेपी को लगता है कि वो कमजोर हैं और हार सकते हैं वहां पीएम मोदी को उतार दिया जाता। लोग उनकी बातों को सुनते हैं और उनकी नीतियों पर भरोसा कर बीजेपी को वोट देते हैं।

चूंकि गुजरात पीएम का गृह राज्य है तो इसका भी फायदा बीजेपी को मिला और लोगों ने भावानात्मक तौर पर भी उनसे जुड़ाव महसूस किया। कांग्रेस के पास ऐसा कोई करिश्माई नेता वहां नहीं है।

कांग्रेस में स्थानीय चेहरे का अभाव

गुजरात में कांग्रेस ऐसा कोई स्थानीय चेहरा नहीं है जो वहां बेहद लोकप्रिय हो। मुख्यमंत्री पद का भी कोई चेहरा कांग्रेस ने घोषित नहीं किया शायद इसका भी खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा।

पूरे चुनाव प्रचार की कमान राहुल गांधी के हाथों में रही और स्थानीय नेता नहीं होने की वजह से गुस्से में भी लोग कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा नहीं जता पाए। शक्ति सिहं गोहिल और अर्जुन मोढवाडिया जैसे कांगेसी नेता भी लोकप्रियता नहीं होने की वजह से चुनाव हार गए।

सत्ता विरोधी लहर को नहीं भुना पाई कांग्रेस

22 सालों से सत्ता में जमी बीजेपी के खिलाफ गुजरात में एंटी इनकमबेंसी थी। आरक्षण की मांग को लेकर हार्दिक पटेल ने बड़ा आंदोलन किया।

जीएसटी से कारोबारी बेहद नाराज थे लेकिन इसके बावजूद पर कांग्रेस राज्य की आम जनता को अपने पक्ष में खड़ी नहीं कर पाई। कांग्रेस वहां की जनता का बीजेपी के मुकाबले भरोसा जीतने में नाकाम रही जिसकी वजह से लोगों ने कांग्रेस के पक्ष उतना वोट नहीं किया जितनी पार्टी को उम्मीद थी।

हालांकि साल 2012 में हुए चुनाव के मुकाबले इस बार कांग्रेस के प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार आया है लेकिन इन कारणों की वजह से ही एक बार फिर कम से कम पांच सालों के लिए सत्ता से दूर हो गई है।

HIGHLIGHTS

  • अय्यर और कपिल सिब्बल के बयान ने कांग्रेस को हराया गुजरात चुनाव
  • जीएसटी, आरक्षण आंदोलन जैसे मुद्दों पर लोगों को अपने पक्ष में नहीं ला पाई कांग्रेस

Source : News Nation Bureau

Gujarat elections 2017 reasons of congress defeat in gujarat
Advertisment
Advertisment