आम चुनाव से ठीक पहले अयोध्या मामले में केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले को बीजेपी ने राम मंदिर निर्माण की दिशा में बड़ा कदम बताया है. मंगलवार को केंद्र सरकार ने अयोध्या में गैर-विवादित भूमि उसके मूल मालिकों को लौटाने की पहल की. जिसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी से सवाल किया है. सर्वोच्च न्यायालय ने 2003 में एक आदेश के तहत अयोध्या में यथास्थिति को बनाए रखने का निर्देश दिया था. इस दिशानिर्देश की केंद्र सरकार को याद दिलाते हुए कांग्रेस ने मंगलवार को मोदी सरकार के उस कदम पर सवाल उठाया, जिसके तहत मोदी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से राम जन्मभूमि न्यास और अन्य वास्तविक मालिकों को निर्विवादित 67 एकड़ भूमि को देने की मांग की है. केंद्र के सर्वोच्च न्यायालय जाने पर अपनी प्रतिक्रिया में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल किया, '16 साल सोए रहने के बाद सरकार अचानक कैसे जाग गई, वह भी लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले?"
सरकार की नियति पर सवाल उठाते हुए सिंघवी ने अदालत के 2003 के उस निर्णय का हवाला दिया, जिसके तहत जबतक पूरे मामले में अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तबतक निर्विवादित भूमि सहित पूरी जमीन पर यथास्थिति बनी रहेगी.
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उन्होंने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय बिल्कुल स्पष्ट है, लेकिन चुनाव से पहले उस निर्णय में बदलाव लाने के लिए सरकार के कदम पर सवाल उठ रहा है.'
बता दें कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है. अर्जी में सरकार ने अयोध्या में जमीन का कुछ राम जन्मभूमि न्यास को देने की बात कही है. सरकार का कहना है कि 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है. जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एकड़ का है, बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है. इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की जरूरत नहीं है. सरकार चाहती है कि जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम इसकी इज़ाजत दे. केंद्र सरकार इस अर्ज़ी को लेकर चीफ जस्टिस की कोर्ट में मेंशनिंग कर सकती है.
(इनपुट एजेंसी)
Source : News Nation Bureau