महाराष्ट्र में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस बार पार्टियों के बजाए गठबंधन दलों के बीच मुकाबला हो सकता है. महाविकास अघाड़ी और एनडीए के बीच टक्कर होने की उम्मीद है. इस बीच महाविकास अघाड़ी में मतभेदों की बात सामने आ रही है. कारण एक है कि आखिर मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा. महाविकास अघाड़ी में शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और कांग्रेस शामिल है. तीनों दलों के बीच फिलहाल मुख्यमंत्री पद के लिए तनातनी चल रही है और अब तक आम सहमति नहीं बन सकी है. एमवीए का लक्ष्य है कि वे इस साल एनडीए सरकार को सत्ता से बेदखल कर देंगे. पिलहा
एनसीपी प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल का कहना है कि महाविकास अघाड़ी को विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री के नाम का एलान करने से बचना चाहिए. एमवीए का लक्ष्य फिलहाल सत्ता में वापसी करने पर होना चाहिए. एमवीए के किसी भी दल को एकतरफा कुछ नहीं बोलना चाहिए. किसी नेता को फिलहाल यह नहीं बोलना चाहिए कि वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में पार्टी और नेताओं का सबका एक ही लक्ष्य होना चाहिए और वह है जीत.
संजय राउत का अलग बयान
हालांकि, शिवसेना सांसद संजय राउत की राय पाटिल से अलग है. उनका कहना है कि बिना सीएम चेहरे के विधानसभा चुनाव का जोखिम भरा होगा. महाराष्ट्र ने साल 2019 से 2022 तक मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे को देखा है और उनके अच्छे काम को देखा है. मसलन अप्रत्यक्ष तौर पर उन्होंने सीएम पद के लिए ठाकरे का नाम आगे किया है. इससे पहले कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने एमवीए रैली में ठाकरे के लिए खाली कुर्सी रखने पर आपत्ति जताई थी.
एमवीए में दरार की शुरुआत
एमवीए नेताओं की टिप्पणियों पर सत्तारूढ़ दल ने भी प्रतिक्रिया दी है. शिंदे गुट के नेता और विधायक संजय शिरसाट का कहना है कि एमवीए में दरार आना शुरू हो गया है. भाजपा नेता गिरीश महाजन ने चुटकी लेते हुए कहा कि राउत उद्धव को भारत का प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं.
लोकसभा चुनावों का ऐसा था हाल
बता दें, लोकसभा में शिवसेना 21 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और नौ सीटों पर जीत हासिल की थी. लोकसभा में एनसीपी का स्ट्राइक रेट 80 प्रतिशत, कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 75 प्रतिशत तो शिवसेना का स्ट्राइक रेट मात्र 41 प्रतिशत था.
Source : News Nation Bureau