देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने वाली कांग्रेस अपने ही रुख से पलटती नजर आ रही है।
दरअसल 25 साल पहले सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी रामास्वामी के खिलाफ लाए गए महाभियोग के प्रस्ताव का विरोध किया था।
दिलचस्प बात यह है कि मई 1993 में जब पहली बार सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी रामास्वामी पर महाभियोग चलाया गया तो वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कपिल सिब्बल ने ही लोकसभा में बनाई गई विशेष बार से उनका बचाव किया था।
हालांकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों द्वारा मतदान से अनुपस्थित रहने की वजह से रामास्वामी के खिलाफ आया महाभियोग प्रस्ताव गिर गया था।
इससे पहले तीन मौकों पर महाभियोग प्रस्ताव लाए गए थे जब कांग्रेस केंद्र की सत्ता में थी।
जस्टिस रामास्वामी के अलावा वर्ष 2011 में जब कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया तो भी कांग्रेस की ही सरकार थी।
सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति पी डी दिनाकरण के खिलाफ भी इसी तरह की कार्यवाही में पहली नजर में पर्याप्त सामग्री मिली थी, लेकिन उन्हें पद से हटाने के लिये संसद में कार्यवाही शुरू होने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस और छह अन्य विपक्षी दलों ने देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर ‘कदाचार’ और ‘पद के दुरुपयोग’ का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया था।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस देने के बाद इन दलों ने कहा कि ‘संविधान और न्यायपालिका की रक्षा’ के लिए उनको ‘भारी मन से ’ यह कदम उठाना पड़ा है।
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HIGHLIGHTS
- महाभियोग पर 25 सालों बाद बदल गया कांग्रेस का रुख
- कभी महाभियोग प्रस्ताव का विरोध करने वाली पार्टी आज कर रही समर्थन
Source : News Nation Bureau