लाल किले पर तिरंगे की जगह 'केसरी झंडा', कांग्रेस ने बताया ऐतिहासिक पल

असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा तो मीलों आगे निकल गए. उन्होंने लाल किले पर उपद्रवियों द्वारा तिरंगे को उतार कर केसरी झंडे को फहराने को ऐतिहासिक पल करार दिया.

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Nihar Saxena
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Ripun Bora

यह है कांग्रेस की मानसिकता, लोकतंत्र-गणतंत्र के प्रतीक के साथ खिलवाड़.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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किसान आंदोलन के ऐन गणतंत्र दिवस पर हिंसक और उपद्रव में बदल जाने को कांग्रेस का मूक समर्थन अब सवाल खड़े कर रहा है. एक तरफ राहुल गांधी ने ट्रैक्टर रैली के हिंसक आंदोलन में बदल जाने के घंटों बाद ट्वीट कर हिंसा को किसी समस्या का समाधान नहीं बताया, तो असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा तो मीलों आगे निकल गए. उन्होंने लाल किले पर उपद्रवियों द्वारा तिरंगे को उतार कर केसरी झंडे को फहराने को ऐतिहासिक पल करार दिया. इसके पहले दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार तो ट्रैक्टर रैली का दिल्ली में जगह जगह स्वागत करने का अपील कर चुके थे. 

'बंधक' दिल्ली, याद आई कैपिटल हिल हिंसा
कल तक गणतंत्र दिवस के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर कर रहे किसान नेता पूरी की पूरी ट्रैक्टर रैली के शांतिपूर्ण रहने का वादा कर रहे थे. उनका तर्क था कि जय जवान जय किसान ध्येय वाक्य है और किसान तिंरगे के साथ देश के संविधान के प्रति अपना समर्पण जाहिर करेंगे. हुआ इसके ठीक उलट. लाखों किसानों ने दिल्ली को बंधक बना वॉशिंगटन में कैपिटल हिल हिंसा की यादें ताजा कर दी. जहां अमेरिकी गणतंत्र की प्रतीक कैपिटल बिल्डिंग पर उपद्रवी ट्रंप समर्थकों ने कब्जा कर लिया था. उसी तर्ज पर सैकड़ों उपद्रवी तत्वों ने लाल किले पर कब्जा कर वहां फहरा रहे तिरंगे को उतार केसरी झंडा फहरा दिया.  लाल किले भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक है, जहां हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं.

कांग्रेस का दुर्भाग्यपूर्ण बयान
दुर्भाग्य तो यह है कि देश की आजादी में अपना बढ़-चढ़ कर योगदान बताने वाली कांग्रेस को इसमें भी एतिहासिक पल दिखाई दिया. असम कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य रिपुन बोरा ने ट्वीट कर इस घटना को एतिहासिक करार दिया. उन्होंने लाल किले पर फहराते केसरी झंडे का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि किसान रैली के एतिहासिक पल का साक्षी बना भारत. इसके पहले राहुल गांधी ने ट्वीट कर हिंसा को किसी समस्या का समाधान नहीं बताते हुए देश के नुकसान की चर्चा की और केंद्र सरकार से किसान कानून वापस लेने की बात की. जाहिर है कांग्रेस के किसी भी नेता को यह समझ नहीं आ रहा है कि लाल किले पर तिरंगे की जगह केसरी झंडा वास्तव में भारतीय लोकतंत्र पर हमला है. ठीक वैसा जैसा वॉशिंगटन की कैपिटल हिल बिल्डिंग पर हुआ था.

Source : News Nation Bureau

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