कांग्रेस (Congress) में बदलाव और नए अध्यक्ष के लिए चुनाव कराने की मांग करने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर पार्टी हाईकमान को आगाह किया है. बीते दिनों जिन 23 वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस में पार्टी के नेतृत्व और कार्य पद्धति को लेकर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को असहमित पत्र लिखा था, उनमें गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे. इस पत्र पर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में बड़ा बवाल हुआ था इस बैठक के 4 दिन बाद फिर से गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कहा है कि पार्टी में चुनाव नहीं होने पर कांग्रेस अगले 50 सालों तक विपक्ष में बैठी रहेगी.
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गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नियुक्त किए गए कांग्रेस अध्यक्ष को पार्टी में एक प्रतिशत भी सपोर्ट नहीं है. जो राज्य इकाई के अध्यक्ष, जिला या ब्लॉक अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, वह अपने पद को खोने से डर रहे हैं. आजाद ने कहा, 'पार्टी की उन संभावनाओं को जोड़ना बेहतर होगा यदि निर्वाचित निकाय पार्टी का नेतृत्व करते हैं अन्यथा कांग्रेस अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी.'
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, आजाद ने कहा, 'जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 प्रतिशत आपके साथ होते हैं और आप केवल 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं. 51 प्रतिशत वोट पाने वाले व्यक्ति का चुनाव किया जाएगा. अन्य को 10 या 15 फीसदी वोट मिलेंगे. जो व्यक्ति जीतता है और अध्यक्ष पद का प्रभार प्राप्त करता है, इसका मतलब है कि 51 फीसदी लोग उसके साथ हैं. चुनाव में यह लाभ है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी आपसे 51 फीसदी पीछे रहती है. लेकिन अभी जो अध्यक्ष हैं, उनके पास एक भी प्रतिशत का सपोर्ट नहीं है. यदि CWC सदस्य चुने जाते हैं तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता तो समस्या क्या है?'
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यह दोहराया हुए कि चुनाव पार्टी की नींव को मजबूत बनाते हैं, गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'दूसरे, तीसरे या चौथे स्थान पर रहने वाले लोग सोचेंगे कि हमें कड़ी मेहनत करते हुए पार्टी को मजबूत करना होगा और अगली बार जीतना होगा. लेकिन, अब जो अध्यक्ष चुना जाता है, उसके पास 1 प्रतिशत पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन भी नहीं होता है.' चुनाव में पार्टी की संभावनाओं पर चुनाव न कराने के परिणामों पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी राज्य में पार्टी अध्यक्ष के रूप में किसी को नियुक्त कर रही है जो दिल्ली आता जाता है. जिनकी पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा सिफारिश करते हैं.'
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद, सिब्बल, तिवारी और प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने कांग्रेस के संगठन में व्यापक बदलाव, सामूहिक नेतृत्व और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर हाल ही में सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. इसको लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ. पार्टी के मुख्यमंत्रियों सहित पार्टी के कई नेताओं ने पत्र पर सवाल उठाए थे और सीडब्ल्यूसी की बैठक में यह मुद्दा उठा. सोनिया गांधी के नेतृत्व की सराहना करने के अलावा, सीडब्ल्यूसी ने पार्टी नेता राहुल गांधी की भूमिका की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि उन्होंने भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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बता दें कि पिछले साल अगस्त में राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से सोनिया गांधी पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में बनी हुई हैं.