कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर खुलकर सामने आ गई है. इस फेर में उसने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए संसद के बजट सत्र के पहले दिन संसद में होने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है. कांग्रेस का आरोप है कि संसद में कृषि कानूनों को विपक्ष की गैरमौजूदगी में जबरन पारित किया गया. ऐसा पहली बार होगा कि विपक्षी दल राष्ट्रपति के अभिभाषण को अपनी राजनीति का निशाना बना रहे हैं. यह तब है जब कांग्रेस की अगुवाई में अन्य विपक्षी दल संवैधानिक संस्थाओं को तोड़ने का आरोप भारतीय जनता पार्टी सरकार पर लगाते आ रहे हैं.
We're issuing a statement from 16 political parties that we're boycotting President's Address that will be delivered at Parliament tomorrow. The major reason behind this decision is that the Bills (Farm Laws) were passed forcibly in House, without Opposition: GN Azad, Congress pic.twitter.com/9uhtfLKh67 — ANI (@ANI) January 28, 2021
कांग्रेस नीत संयुक्त विपक्ष की ओर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह 16 राजनीतिक दलों की ओर से फिर बयान दोहरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि संयुक्त विपक्ष संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के शुक्रवार को होने वाले अभिभाषण का बहिष्कार करेगा. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष यह कदम संसद में जबरन पास कराए गए कृषि कानूनों की मुखालफत के तहत उठा रहा है. खासकर जब कृषि कानूनों को विपक्ष की गैरमौजूदगी में पारित किया गया हो.
इससे पहले राहुल गांघी ने गुरुवार को ही मोदी सरकार को भारतीय अर्थव्यवस्था समेत किसान कानूनों पर घेरा था. अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड गए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि विश्व में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को कैसे बर्बाद किया जा सकता है, यह मोदी सरकार से जाना जा सकता है. इसके बाद ही उन्होंने यह भी कहा कि कृषि कानूनों की भाषा अधिसंख्य किसानों के समझ नहीं आ रहा है. अगर आ जाती तो पूरे देश में आग भड़क जाती. गौरतलब है कि बुधवार को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राहुल गांधी पर किसानों को भड़काने का सीधा आरोप लगाया था.
Source : News Nation Bureau