हाथरस में दलित समुदाय की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत का मामला पूरी तरह से सियासी रंग ले चुका है. हाथरस कांड में तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच गहरी साजिश का भी खुलासा हुआ है. सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया है कि देश और प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक दंगे फैलाने की साजिश रची जा रही है और इसकी नींव रखने के लिए विदेश से फंडिंग भी हो रही है. इन गंभीर आरोपों के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री होगी.
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हाथरस मामले में वेबसाइट बनाकर जातीय हिंसा फैलाने के लिए फंडिंग की बात सामने आने के बाद अब ईडी भी इस मामले की जांच करेगी. जल्द ही ईडी इस मामले में मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू करेगी. सूत्रों के हवाले से खबर है कि हाथरस मामले में जांच एजेंसियों की रडार पर कुछ और भी वेबसाइट हैं. जांच एजेंसियों को कुछ और वेबसाइट्स के इनपुट मिले हैं. लोगों को हिंसा करने के लिए भड़काने वाली कुछ और वेबसाइट्स के बारे में जांच एजेंसियों को जानकारी मिली है. ऐसे में विदेशों से भी बड़े पैमाने पर फंडिंग किये जाने की बात सामने आने के बाद अब ईडी भी जांच करेगी.
पुलिस ने जिले के चंदपा थाने में जाति आधारित संघर्ष की साजिश, सरकार की छवि बिगाड़ने के प्रयास और माहौल बिगाड़ने के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है. इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस का आरोप है कि ये लोग हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश को जलाने की साजिश में शामिल हैं. प्रदेश भर में इस संबंध में कुल 21 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. तो फंडिंग की जांच को लेकर भी मुकदमा दर्ज हो सकता है.
प्रवर्तन निदेशालय के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह का कहना है कि मामले में एक वेबसाइट का जिक्र हुआ है, जिसको लेकर पुलिस ने केस भी दर्ज किया है. इस संबंध में एजेंसी भी जांच का एंगल देखेगी. बता दें कि हाथरस कांड में एक वेबसाइट की जानकारी पुलिस को लगी है, जिसके जरिए जस्टिस फॉर हाथरस के लिए मुहिम चलाई गई. उधर, सूत्र बताते हैं कि ईडी जल्द ही PMLA के तहत इसमें मुकदमा दर्ज कर फंडिंग को लेकर जांच शुरू कर सकती है.
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उल्लेखनीय है कि एक पुलिस उप निरीक्षक की तहरीर पर हाथरस के चंदपा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 109 (अपराध के लिए उकसाने), 124ए (देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने की कोशिश-राजद्रोह) 120 बी (षडयंत्र), 153-ए (धर्म भाषा और जाति के आधार पर विद्वेष फैलाना), 153-बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले बयान), 195(झूठे साक्ष्य गढ़ना) , 465 (कूटरचना) , 468 (कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग), 501(मानहानिकारक मुद्रण), 505 (भय का माहौल बनाने वाला बयान) और सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008 की धारा 67 समेत कुल 20 धाराओं में रविवार को मुकदमा दर्ज किया गया है.
इस मामले में धारा 153-ए (धर्म भाषा और जाति के आधार पर विद्वेष फैलाना) में PMLA का सेक्शन भी लागू होता है. एक बार अगर प्रवर्तन निदेशालय की जांच आगे बढ़ती तो मामले में विदेशी फंडिंग से जुड़ी कई बातें सामने आ सकती हैं. जिसमें वेब पॉर्टल द्वारा किसने पैसा दिया, कहां से आया और किसे पैसा मिला, जैसी अहम कड़ियों के बारे में पता चल सकता है. इस दौरान ईडी कई अन्य एजेंसियों की मदद लेगी. ताकि आईपी एड्रेस ढूंढने, ईमेल आईडी, फोन नंबर, वेबसाइट, वेब लिंक जैसे कनेक्शन को जोड़ पाए. बताया जा रहा है कि जो वेब प्लेटफॉर्म इस मामले में सामने आया है, वो मुख्य रूप से अमेरिकी बेस्ड है.
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यूपी पुलिस दावा कर रही है कि कुछ संगठनों द्वारा हाथरस कांड के सहारे प्रदेश का माहौल और सरकार की छवि बिगाड़ने की साजिश रची जा रही है. यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार का दावा है कि कुछ संगठनों एवं व्यक्तियों द्वारा प्रदेश में जातीय एवं सांप्रदायिक हिंसा फैलाने और सरकार की छवि खराब करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्मो पर पीड़ित परिवार को भड़काया गया. साथ ही भ्रामक व द्वेषपूर्ण सूचनाओं को प्रसारित करते हुए उन्माद फैलाने का प्रयास भी किया जा रहा है.