गुरुवार को रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019' को चर्चा एवं सदन में पारित करने के लिये पेश किया. इस बिल में मुस्लिम विवाहित महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके शौहर द्वारा तीन तलाक देकर विवाह तोड़ने को निषेध करने का प्रावधान किया गया है. चर्चा के दौरान अपनी बातें ट्रिपल तलाक के पक्ष में रखते हुए केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह नरेन्द्र मोदी सरकार के मंत्री हैं न कि राजीव गांधी के. रविशंकर ने आगे कहा- 'इस मामले पर फैसले के बाद 24 जुलाई तक तीन तलाक के 345 केस सामने आए हैं. क्या हम इन औरतों को सड़कों पर छोड़ दें? मैं नरेन्द्र मोदी सरकार का मंत्री हूं न कि राजीव गांधी सरकार का.'
वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा पेश किए गए इस बिल पर AIMIM नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इस बिल में आप कह रहे हैं कि अगर किसी पति ने पत्नी को तीन बार तलाक कह दिया तो शादी नहीं टूटती, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी यही कहता है फिर आप ये क्यों कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये महिलाओं के खिलाफ है. जब 3 साल की सजा हो जाए, पति जेल में रहे तो औरत 3 साल तक इंतजार करें. और जब 3 साल के बाद वो वापस आए तो क्या कहे कि बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है. ओवैसी ने कहा कि आप ट्रिपल तलाक पर एक प्रावधान लाइये कि अगर कोई ट्रिपल तलाक देता है तो मेहर की रकम का 5 गुना उसे भरना पड़ेगा.
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ओवैसी ने आगे कहा कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. सबूत देने की जिम्मेदारी भी महिलाओं पर डाली जा रही है. शौहर को जेल में डालेंगे तो वो मेनटेनेंस कैसे देगा. आपका यह कानून औरतों पर जुल्म ढाएगा. आप इस कानून के जरिए मुस्लिम महिलाओं पर जुल्म कर रहे हैं. महिलाओं को शादी से निकलने का मौका मिलना चाहिए। आप औरतों को रोड पर ला रहे हैं और उसके शौहर को जेल में डाल रहे हैं.
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इसके बाद कानून मंत्री ने ओवैसी को जवाब देते हुए कहा कि इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी तीन तलाक को गलत माना था, ओवैसी साहब अगर ऐसी पीड़ित महिलाओं के हक के बारे में बात कर रहे हों तो मुझे बहुत अच्छा लगता, क्योंकि मैं उन्हें इस्लाम का जानकार मानता हूं. कानून मंत्री ने कहा कि सभी लोग ओवैसी साहब से उदासी का कारण भी पूछेंगे. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने तीन तलाक को गलत बताया और एक ने कहा कि कुरान में गलत है तो कानून में सही कैसे माना जा सकता है. संसद को कानून लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की जरूरत नहीं है, संसद खुद कानून ला सकती है. मोदी सरकार तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं के साथ खड़ी रहेगी, यह फैसला हमारे प्रधानमंत्री ने किया था.
HIGHLIGHTS
- लोकसभा में पारित हुआ ट्रिपल तलाक बिल
- असदुद्दीन ओवैसी ने किया कड़ा विरोध
- रविशंकर प्रसाद ने ओवैसी को घेरा