भारत में लॉकडाउन लागू होने के बाद से लोगों में घर लौटने की बेताबी थी और अब जब प्रवासी मजदूर एवं अन्य अपने घरों, गृह राज्यों को लौटने लगे हैं तो कोविड-19 के मामले भी उसी रफ्तार से बढ़ रहे हैं. ट्रेनों में किसी तरह सवार होकर, ट्रकों और बसों में ठसाठस भरकर या साइकिल चलाकर और पैदल चलकर, लाखों परेशान प्रवासी मजदूरों ने अब घरों को पहुंचना शुरू कर दिया है जब 25 मार्च से लागू लॉकडाउन को 50 से ज्यादा दिन हो गए हैं. देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्सों में लोगों का जाना शुरू करने के साथ ही मामले भी बढ़ने शुरू हो गए हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शुक्रवार के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 80,000 के पार चले गए हैं और कम से कम 2,649 लोगों की मौत हो गई है. इन आंकड़ों में सटीक संख्या का तो नहीं पता, लेकिन इसमें बड़ी संख्या में वे मामले हैं जो अपने राज्य लौटकर आए हैं. उदाहरण के लिए बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही में ऐसे मामलों का सामने आना भी शामिल है जो तबलीगी जमात के कार्यक्रम या महाराष्ट्र के नांदेड़ के गुरुद्वारे जैसे बड़ी जन सभाओं से लौटे हैं.
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कई लोगों को अपने राज्य में प्रवेश के बाद पृथक केंद्रों में रखा जा रहा है लेकिन इस बेहद संक्रामक रोग के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. उदाहरण के लिए, ओडिशा में अन्य राज्यों से लौटे 73 में से 71 लोग गुरुवार को कोविड-19 की जांच में संक्रमित पाए गए. एक अधिकारी ने कहा कि इन 71 लोगों में से, 50 गुजरात से, 20 पश्चिम बंगाल से और एक कर्नाटक से लौटा था। विभाजन के बाद से भारत में संभवत: लोगों की सबसे बड़ी आवाजाही में, लाखों प्रवासियों के पलायन के साथ ओडिशा में मामले बृहस्पतिवार को बढ़कर 611 हो गए जो 11 दिन पहले तीन मई को महज 162 थे.
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दक्षिण ओडिशा के गंजाम जिले में दो मई तक कोई मामला नहीं था और अब यहां 137 मामले हो गए हैं. कोविड-19 पर ओडिशा सरकार के प्रवक्ता सुब्रतो बागची ने कहा कि यह अच्छी बात है कि संक्रमण के मामले पृथक केंद्रों से आ रहे हैं और सामुदायिक स्तर पर नहीं। प्रवासियों के घर लौटने से बिहार में भी मामले बढ़े हैं जहां अब संक्रमण के 940 मामले हैं. राज्य के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) संजय कुमार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में सोमवार को बताया था कि पिछले एक हफ्ते में संक्रमित पाए गए लोगों में से 75 प्रतिशत से अधिक प्रवासी मजदूर हैं.
चार मई से 10 मई के बीच मामलों की संख्या 528 से बढ़कर 707 हो गई। देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हजारों लोग पश्चिम बंगाल में भी आ रहे हैं. इनमें कोटा में फंसे 2,500 छात्र एवं उनके परिवार हैं और विभिन्न स्थानों से रेलगाड़ियों से लौट रहे प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि प्रवासी मजदूरों को वापस लाने ने मामलों में इजाफे का जोखिम बढ़ा दिया है. चिंता का अन्य कारण उन सभाओं से लौट रहे लोग भी शामिल हैं जिनमें सैकड़ों या हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए हों.
उदाहरण के लिए पंजाब में, नांदेड़ हुजूर साहिब गुरुद्वारे से लौटने वाले 4,216 तीर्थयात्रियों में से 1,125 लोग संक्रमित पाए गए हैं. बाहर से आने वाले लोगों को लेकर चिंतित हरियाणा ने अपनी सीमाएं सील कर दी हैं. हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि उसके 793 मामलों में से 120 से ज्यादा उन लोगों के कारण हैं जो मार्च में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. विज ने मामलों के बढ़ने के पीछे दिल्ली और राज्य के बीच आवाजाही को जिम्मेदार ठहराया. दिल्ली के करीब 8,000 में से 1,000 मामले शहर के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी सभा के कारण फैले बताए जाते हैं. इसके अलावा कर्नाटक, केरल, चेन्नई, गोवा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश के भी शहरों में उपरोक्त कारणों से मामलों का बढ़ना सामने आया है.